1. होली का त्यौहार
होली का त्यौहार साल की सभी पूर्णिमाओं में फाल्गुन मास की पूर्णिमा को बेहद खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है। होली मिलन का पर्व है। नए साल में होलिका दहन 7 मार्च 2023 को है. इसे छोटी होली भी कहते हैं।
अगले दिन 8 मार्च 2023 को रंगों की होली खेली जाएगी. हर साल होली के त्योहार का सभी को बेसब्री से इंतजार रहता है। हिंदू धर्म में होली का विशेष महत्व है। होलिका दहन की अग्नि बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त और कथा। होली का त्यौहार
होली का त्यौहार 2023
होलिका दहन की पूजा यदि शुभ मुहूर्त में न की जाए तो यह दुर्भाग्य और कष्ट देती है। प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद होलिका दहन किया जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि 6 मार्च 2023 को शाम 04 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी जो 7 मार्च 2023 को शाम 06 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी।
भद्रा पुंछ – 12:43 पूर्वाह्न – 02:01 पूर्वाह्न
भद्रा मुख – 02 बजकर 01 मिनट से 04 बजकर 11 मिनट तक
होलिका दहन मुहूर्त – शाम 06:31 – रात 08:58 बजे (7 मार्च 2023)
अवधि – 02 घंटे 27 मिनट
होलाष्टक 2023 कब है? (होलाष्टक 2023)
2. होली का त्यौहार पूजा का अधिक महत्व :
पंचांग के अनुसार हर साल होली के आठवें दिन होलाष्टक होता है। होलाष्टक में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
साल 2023 में होलाष्टक 28 फरवरी 2023 से पड़ रहा है. होलाष्टक की अवधि में कोई नया काम शुरू करने, नए भवन की नींव रखने से बचना चाहिए, इस दौरान पूजा का अधिक महत्व होता है.
होलिका दहन की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप नाम का असुर सम्राट अभिमान के नशे में चूर होकर स्वयं को भगवान मानने लगा था। और उसका पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था।
पुत्र का विष्णु के प्रति प्रेम और भक्ति देखकर राजा ने उसे मारने का निश्चय किया। इसके बाद हिरण्यकश्यप की बहन होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई। होलिका को वरदान था कि वह आग से नहीं जल सकती लेकिन इस आग में होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गया। होलिका का यह हार बुराई के विनाश का प्रतीक है।
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