रत्न शास्त्र 2022 के अनुसार किस राशि वाले को चमत्कारी पुखराज पहनना चाहिए पूरी जानकारी प्राप्त करें :

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रत्न शास्त्र

रत्न शास्त्र

रत्न शास्त्र के अनुसार हर रत्न का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। कुंडली में किसी भी ग्रह के कमजोर या अशुभ फल को कम करने के लिए ज्योतिष शास्त्र में रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है।

रत्न शास्त्र में कई रत्नों और रत्नों का उल्लेख है। हर रत्न का संबंध किसी न किसी ग्रह से होता है। कुंडली में किसी भी ग्रह को मजबूत करने और उसका शुभ फल पाने के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। रत्न विद्या में पुखराज को अत्यंत शक्तिशाली रत्न माना गया है। इसे देवगुरु बृहस्पति को मजबूत करने के लिए पहना जाता है। बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति ग्रह को सुख, समृद्धि और धन का कारक माना गया है।

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किसी भी व्यक्ति की कुंडली में गुरु के बली होने पर व्यक्ति को सुखी और समृद्ध जीवन की प्राप्ति होती है। रत्न शास्त्र में इसे पहनने के कई फायदे बताए गए हैं। लेकिन एक खास बात का ध्यान रखें कि रत्न हमेशा ज्योतिष की सलाह से ही धारण करना चाहिए। आइए जानते हैं किन राशियों के लिए पुखराज रत्न धारण करना वरदान के समान है।

रत्न शास्त्र इस राशि के लोग पहन सकते हैं पुखराज

रत्न शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को पुखराज सूट करता है तो वह 30 दिन में अपना असर दिखाना शुरू कर देता है। पुखराज रत्न बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में यह बृहस्पति के स्वामित्व वाले धनु और मीन राशि के लोगों के लिए वरदान के समान है। वहीं मेष, कर्क, सिंह और वृश्चिक राशि के लोग भी इस रत्न को धारण कर सकते हैं।

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इन लोगों को भूलकर भी न पहनें पुखराज

ज्योतिष शास्त्र में रत्न हमेशा ज्योतिषियों की सलाह से ही धारण करना चाहिए। ऐसे में वृष, मिथुन, कन्या, तुला, मकर और कुंभ राशि के जातकों को पुखराज पहनना नहीं भूलना चाहिए। इस राशि के लोगों को सलाह दी जाती है कि इसे कुछ खास परिस्थितियों में ही पहनें।है. लेकिन कोई भी रत्न धारण करने से पहले एक बार अपने ज्योतिष से सलाह अवश्य ले लें.

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पुखराज धारण करने की विधि

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति को कम से कम 3.25 कैरेट का पुखराज धारण करने की सलाह दी जाती है. कहते हैं कि ये रत्न गुरुवार के दिन सोने या चांदी की अंगूठी में धारण किया जाता है. इससे धारण करने से पहले इसे गंगाजल और दूध से शुद्ध कर लें. गुरुवार के दिन सूर्योदय के बाद स्नान आदि करके इसे अपने दाहिने हाथ की तर्जनी उंगली में धारण करने से लाभ होगा.

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