राधाअष्‍टमी 2022 के दिन जाने कैसे पा सकते हैं राधा रानी जी की कृपा विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त करें

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राधाअष्‍टमी

राधाअष्‍टमी

(राधाअष्‍टमी) भगवान कृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद उनकी प्यारी प्रेमिका राधा रानी का जन्म होता है। ऐसा माना जाता है कि जन्माष्टमी का पुण्य फल तभी मिलता है जब राधा अष्टमी के दिन व्रत और पूजा की जाती है। इस बार राधा अष्टमी 3 या 4 सितंबर कब है, आइए जानते हैं। (राधाअष्‍टमी)

राधा रानी भले ही कृष्ण की पत्नी न बनी हों लेकिन उन्हें उनकी सबसे प्यारी प्रेमिका माना जाता था और यही कारण है कि राधा का नाम भगवान कृष्ण के साथ जरूर आता है। सनातन धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को तथा राधाअष्टमी इस माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। (राधाअष्‍टमी)

इस साल राधाअष्‍टमी कब पड़ेगी और पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है, इसको लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। दरअसल इसके बाद इस बार 3 सितंबर से राधाअष्‍टमी शुरू हो रही है और 4 सितंबर तक रहेगी. ऐसे में जिस दिन व्रत रखा जाएगा उसे लेकर काफी संशय बना हुआ है. तो आइए जानते हैं क्या है व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त और यह किस दिन मनाया जाएगा।

राधाअष्‍टमी

राधाअष्टमी तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष भादो मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी 4 सितंबर रविवार को है. यानी रविवार को राधाअष्‍टमी का व्रत रखा जाएगा. हालांकि अष्टमी तिथि शनिवार 3 सितंबर 202, दोपहर 12:25 से शुरू होगी। अष्टमी तिथि समाप्त: 4 सितंबर 2022, रविवार सुबह 10:40 बजे तक रहेगा लेकिन उदय तिथि के अनुसार राधा अष्टमी का व्रत 4 सितंबर को ही रखा जाएगा.

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राधा रानी के जन्म की कथा

राधा जी को कृष्ण जी की प्रेमिका और पत्नी के रूप में पूजा जाता है। पद्म पुराण के अनुसार राधा जी का जन्म बरसाना के पूज्य यादव राजा वृषभानु गोपा के घर हुआ था और उन्हें देवी लक्ष्मी का एक रूप माना जाता है। शास्त्रों में राधा और कृष्ण की अनगिनत लीलाओं का वर्णन है और वैष्णव संप्रदाय में राधा जी को भी भगवान कृष्ण का शक्ति रूप माना गया है। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण भगवान राधा रानी से बिना शर्त प्यार करते थे। राधा और कृष्ण के प्रेम की कहानी आज भी प्रेरणा देती है।

 राधा अष्टमी पूजा विधि

राधाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर राधा और कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें। इसके बाद राधा रानी को पंचामृत से स्नान कराएं और सुंदर वस्त्र धारण करें। विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं और देवी राधा के सामने फल और मिठाई चढ़ाती हैं। इसके बाद राधा और कृष्ण जी की आरती करें और प्रसाद बांटकर स्वयं ग्रहण करें।

जानिए राधा अष्टमी के व्रत के फायदे

जानिए राधा अष्टमी के व्रत के फायदे5/5
राधा अष्टमी का महत्व- हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. राधा अष्टमी का व्रत करने से घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है और भगवान की कृपा बनी रहती है. संतान और पति की लंबी आयु के लिए भी इस व्रत का विशेष महत्व है।

राधाअष्टमी की पूजा विधि

राधा अष्टमी के दिन प्रात:काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसमें राधा-कृष्ण की मूर्ति स्थापित करें और उनकी पूजा करते हुए व्रत का संकल्प लें। राधा रानी की षोडशोपचार विधि से पूजा करें। देवी को फूल, फल और मिठाई का भोग लगाएं। मध्याह्न में इनकी पूजा करना उत्तम माना जाता है। यह व्रत दिन में एक बार फलों के साथ किया जाता है। पूजा के बाद राधा रानी की आरती करें और कथा सुनें।

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राधाअष्टमी मंत्र

राधा अष्टमी पर राधा रानी के मंत्रों का जाप करना बहुत अच्छा माना जाता है। इस दिन 11 या 21 माला मंत्रों का जाप कर सकते हैं। इस दिन सिद्धियों की प्राप्ति और मनचाहे वरदान के लिए राधा रानी के चमत्कारी मंत्र “O ह्नी श्री राधिकायै नमः”, “O ह्नी श्रीराधाई स्वाहा” का जाप कर सकते हैं।

Radha Rani ji ki images

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