धनतेरस
(धनतेरस) कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि होने के कारण आज धनतेरस का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन समुद्र मंथन में भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे। इसलिए इनकी पूजा की जाती है। वहीं अकाल मृत्यु से बचने के लिए दक्षिण दिशा में या घर के मुख्य द्वार पर यमराज के लिए आटे का दीपक रखना चाहिए। जिससे यमराज प्रसन्न होते हैं। धनतेरस पर खरीदारी के साथ-साथ भगवान धन्वंतरि की भी पूजा की जाती है। जानिए पूजा की पूरी विधि से जानिए खरीदारी और पूजा का शुभ मुहूर्त।
धनतेरस पूजा विधि
सबसे पहले नहा धोकर साफ कपड़े पहन लें। भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या चित्र को किसी स्वच्छ स्थान पर स्थापित कर पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं। इसके बाद इस मंत्र से भगवान धन्वंतरि का आवाहन करें।
सत्यच येन निरतं रोगम विधुतम,
चविधि के स्वास्थ्य की जांच की।
गुधम निगुधन औषधरूपम, धन्वंतरिम चा समतम प्रणामि नित्यम।
इसके बाद पूजा स्थल पर आसन देने की भावना से चावल चढ़ाएं। आचमन के लिए जल छोड़ दें और भगवान धन्वंतरि को वस्त्र (मौली) अर्पित करें।
भगवान धन्वंतरि की मूर्ति या तस्वीर पर अबीर, गुलाल पुष्प, रोली और अन्य सुगंधित चीजें चढ़ाएं।
चांदी के बर्तन में खीर चढ़ाएं। (चांदी का बर्तन न हो तो किसी और बर्तन में भी भोग लगा सकते हैं.)
इसके बाद आचमन के लिए पानी छोड़ दें। मुंह की शुद्धि के लिए पान, लौंग, सुपारी चढ़ाएं। भगवान धन्वंतरि को पूजनीय औषधि जैसे शंखपुष्पी, तुलसी, ब्राह्मी आदि का भोग लगाएं।
(धनतेरस ) मंत्र का जाप
इसके बाद रोग नाश की कामना के लिए इस मंत्र का जाप करें-
मंत्र – Om रम रुद्र रोग नशय धन्वंतरिय फैट।
फिर भगवान धन्वंतरि को श्रीफल और दक्षिणा अर्पित करें। पूजा के अंत में कर्पूर आरती करें।
भगवान धन्वंतरि की पूजा और खरीदारी का शुभ मुहूर्त
प्रातः 06.31 बजे से प्रातः 07.55 बजे तक
सुबह 09:18 से 10.41 बजे तक
दोपहर 1.27 बजे से शाम 07.13 बजे तक
रात 10.27 बजे से 11.35 बजे तक