नवरात्रि के छठे दिन
(नवरात्रि के छठे दिन) यह पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अंत्यत भव्य और चमकीला है। मां की चार भुजाएं हैं और मां का वाहन सिंह है। (नवरात्रि के छठे दिन)
मां कात्यायनी पूजा विधान…
प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की मूर्ति को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
माता को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
स्नान के बाद माता को पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम लगाएं।
मां को पांच प्रकार के फल और मिठाई का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।
मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
माता की आरती भी करें।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर होती हैं.
मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है।
माँ कात्यायनी को शहद चढ़ाने से सुन्दर रूप मिलता है।
मां कात्यायनी की पूजा और पूजा करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है।
शत्रुओं का भय समाप्त होता है।
मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। (नवरात्रि के छठे दिन)
मां कात्यायनी की पूजा करें शाम के समय-
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा शाम के समय गोधुलि बेला में करनी चाहिए।
शुभ मुहूर्त-
- ब्रह्म मुहूर्त– 04:34 ए एम से 05:20 ए एम
- अभिजित मुहूर्त- कोई नहीं
- विजय मुहूर्त– 02:30 पी एम से 03:20 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त– 06:29 पी एम से 06:53 पी एम
- अमृत काल– 04:06 पी एम से 05:53 पी एम
- निशिता मुहूर्त– 12:00 ए एम, अप्रैल 07 से 12:46 ए एम, अप्रैल 07
- सर्वार्थ सिद्धि योग– पूरे दिन
- मां कात्यायनी का मंत्र
ॐ देवी कात्यायन्यै नम:॥ (नवरात्रि के छठे दिन)
- मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
- मां कात्यायनी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥
स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥ (नवरात्रि के छठे दिन)
-
मां कात्यायनी स्त्रोत
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥
कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥
कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥ (नवरात्रि के छठे दिन)
- मां कात्यायनी कवच मंत्र
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥
- मां कात्यायनी की आरती-
- जय-जय अम्बे जय कात्यायनीजय जगमाता जग की महारानीबैजनाथ स्थान तुम्हारावहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत हैं कहते
कत्यानी रक्षक काया की
- ग्रंथि काटे मोह माया कीझूठे मोह से छुडाने वालीअपना नाम जपाने वालीबृहस्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यायनी का धरिए
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।
- मान्यता के अनुसार देवी दुर्गा ने ही महिषासुर नामक राक्षस को मारने के लिए मां कात्यायनी के रूप में अपने छठें स्वरूप को धारण किया था। मां कात्यायनी को युद्ध की देवी भी कहा जाता है, क्योंकि माता का यह रूप काफ़ी हिंसक माना गया है।
- maa katyayani ki best images :