भगवान रामचंद्र जी :
भगवान रामचंद्र जी – स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार बिना आरती और व्रत के रामनवमी की पूजा पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए रामनवमी के दिन व्रत कथा पढ़ने के बाद भगवान राम की आरती करें। कहा जाता है कि भगवान रामचंद्र की आरती सुनने मात्र से सभी समस्याओं का निवारण हो जाता है भगवान रामचंद्र जी
भारत में रामनवमी का पर्व मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान राम का जन्म त्रेतायुग में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इसके साथ ही इस दिन नवरात्रि का समापन भी होता है। लोग घर-घर में हवन पूजन कर मां सिद्धिदात्री और राम जी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि रामनवमी के दिन भगवान राम की विधि-विधान से पूजा करने से सभी कष्टों का नाश होता है और जीवन में आने वाली सभी बाधाओं का अंत हो जाता है।
स्कंद पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार बिना आरती और व्रत कथा के पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है। इसलिए व्रत कथा का पाठ करने के बाद भगवान राम की आरती कहा जाता है कि भगवान रामचंद्र की आरती सुनने मात्र से सभी समस्याओं का समाधान हो जाता है और नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। ऐसे में नीचे क्लिक कर आप भगवान राम की आरती पढ़ सकते हैं।
भगवान रामचंद्र जी की आरती :
श्री राम चंद्र कृपालु भजु मन हरण भव भय दारुणम्।
नव कंजलोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद कंजारुणम्।।
कन्दर्प अगणित अमित छवी नव नील नीरज सुन्दरम्।।
पट्पीत मानहु तडित रूचि शुचि नौमी जनक सुतावरम्।।
भजु दीनबंधु दिनेश दानव दैत्यवंश निकन्दनम्।।
रघुनंद आनंद कंद कौशल चंद दशरथ नन्दनम्।
सिर मुकुट कुंडल तिलक चारू उदारु अंग विभूषणं।
आजानु भुज शर चाप धर सग्राम जित खरदूषणं।।
इति वदित तुलसीदास शंकर-शेष-मुनि-मन रंजनम्।
मम ह्रदय –कंच निवास कुरु कामादि खलदल-गंजनम्।।
मनु जाहिं राचेउ मिलहि सो बरु सहज सुन्दर सांवरो।
करुना निधान सुजान सिलु सनेहु जानत रावरो।।
एही भांति गौरी असीस सुनी सिया सहित हियं हरषी अली।
तुलसी भवानी पूजी पुनी पुनी मन मन्दिर चली।।
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