राम और लक्ष्मण की विद्या
(राम और लक्ष्मण की विद्या) भगवान राम और लक्ष्मण दोनों ही बचपन से ही अलौकिक प्रतिभा के धनी थे। यही कारण है कि जब श्री राम केवल 16 वर्ष के थे, तब ऋषि विश्वामित्र ने राजा दशरथ को उनके यज्ञ में विघ्न डालने वाले राक्षसों के आतंक के बारे में बताया और इसके लिए उन्होंने राम और लक्ष्मण को आश्रम ले जाने के लिए कहा। (राम और लक्ष्मण की विद्या )
जिसके बाद राम और लक्ष्मण अपने कौशल से उस राक्षस का नाश करते हैं। यह देखकर ऋषि विश्वामित्र का मन प्रसन्न हो जाता है। (राम और लक्ष्मण की विद्या)
इसके बाद उन्होंने भगवान राम और लक्ष्मण को दिव्य शास्त्रों की शिक्षा दी और उन्हें युद्ध कला में भी निपुण बनाया। जिसके बाद भगवान राम और लक्ष्मण ने कई राक्षसों का नाश किया और भगवान राम ने महान पापी रावण का भी अंत किया। (राम और लक्ष्मण की विद्या)
माता- सीता का जन्म और उनका अद्भुत स्वंयवर
वाल्मीकि जी ने बालकाण्ड में माता सीता जी के जन्म और उनके अद्भुत स्वरुप का अद्भुत वर्णन किया है। माता सीता राजा जनक की पुत्री थीं जो मिथिला के राजा थे, वे भी लंबे समय से संतान सुख की लालसा कर रही थीं, क्योंकि उन्हें लंबे समय तक कोई संतान नहीं मिली थी। (राम और लक्ष्मण की विद्या )
वहीं एक बार जब वे हल जोत रहे थे, तब उन्हें धरती में से सोने की डलिया में मिट्टी में लिपटी हुई बेहद सुंदर एक कन्या मिली थी। तब राजा जनक बेहद प्रसन्न हुए और उन्हें अपनी बेटी मानकर अपने घर ले आए। और फिर राजा जनक ने उसका नाम सीता रख दिया।
इस तरह वह धरती मैया से जन्मी थी और उन्हें भूमिजा नाम से भी जाना जाता है। राजा जनक को अपनी पुत्री सीता से बेहद लगाव था। माता-सीता को देवी लक्ष्मी का अवतार भी माना जाता है। आपको बता दें कि माता सीता सर्व गुण संपन्न और अद्वितीय सुंदरता से परिपूर्ण थी।
एक बार माता सीता ने मंदिर में रखे भगवान शिव जी के धनुष को उठा लिया था, जिसे भगवान परशुराम के अलावा किसी ने नहीं उठाया था, तब ही राजा जनक ने फैसला लिया था कि वे अपनी पुत्री का विवाह, अपनी पुत्री की तरह किसी योग्य पुरुष से करवाएंगे, जो भगवान विष्णु के इस धनुष को उठाएगा और उस पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा। (राम और लक्ष्मण की विद्या )
वहीं जब माता सीता विवाह योग्य हुईं, तब राजा-जनक ने अपनी सर्व गुण संपन्न कन्या के लिए दिव्य पुरुष को खोजने के लिए स्वयंवर रखने का फैसला लिया और फिर राजा जनक ने सीता के स्वयंवर के लिए कई राज्यों के राजाओं को निमंत्रण दिया।
सीता स्वयंवर
स्वयंवर में राजा जनक ने शिव धनुष को उठाने वाले और उस पर प्रत्यंचा चाहने वाले से अपनी प्रिय पुत्री सीता से विवाह करने की शर्त रखी। वहीं सीता के गुण और सुंदरता की चर्चा पहले से ही चारों तरफ फैल चुकी थी। जिसके बाद सीता के स्वयंवर की खबर सुनकर बड़े-बड़े राजा सीता के स्वयंवर में भाग लेने के लिए आने लगे।
सीता स्वयंवर को देखने के लिए ऋषि विश्वामित्र राम और लक्ष्मण के साथ राजा जनक की नगरी मिथिला पहुंचे थे। इसके साथ ही राजसी रावण भी सीता से विवाह करने की इच्छा से स्वयंवर में भाग लेने आया था। (राम और लक्ष्मण की विद्या )
इस तरह माता-सीता के स्वयंवर में बड़े-बड़े राजाओं ने भाग लिया, लेकिन जब धनुष उठाने की बारी आई तो कई राजा उसे हिला भी नहीं पाए, धनुष उठाने की बात तो दूर।
यह सब देखकर राजा जनक बहुत चिंतित हुए और सोचने लगे कि कोई राजा उनकी बेटी के योग्य नहीं है, इसलिए उनकी बेटी अविवाहित रहेगी, लेकिन तब ऋषि विश्वामित्र ने अपने शिष्य भगवान राम से राजा जनक की चिंता को दूर करने के लिए धनुष उठाने के लिए कहा। विचार व्यक्त करना। (राम और लक्ष्मण की विद्या )
जिसके बाद भगवान राम अपने गुरु की आज्ञा का पालन करते हुए आसानी से एक ही झटके में उस धनुष को उठा लेते हैं और जैसे ही वह धनुष को चढ़ाने के लिए झुकते हैं, वह टूट जाता है और दो हिस्सों में गिर जाता है।
इस तरह माता सीता को भगवान राम के रूप में वरदान मिलता है और राजा जनक की दिव्य पुरुष की तलाश समाप्त हो जाती है। और फिर यह देख चारों ओर फूलों की वर्षा हो जाती है।
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