राम भक्त हनुमान
(राम भक्त हनुमान ) भारतीय साहित्य के दो प्रमुख महाकाव्य है जिसमें से पहला है रामायण और दूसरा है महाभारत। हिंदू धर्म में दोनों ही महकाव्यों का अपना-अपना अलग महत्व है।
आपको बता दें कि यह दोनों ही ग्रंथ, भगवान विष्णु के मनुष्य अवतार, भगवान राम और श्रीकृष्ण, की लीलाओं पर आधारित हैं। (राम भक्त हनुमान )
वहीं जहां रामायण में श्रीराम का जन्म मुख्य रूप से बुराई का स्वरूप बन चुके रावण के अंत के लिए हुआ था, वहीं महाभारत में श्रीकृष्ण की भूमिका किसी दैवीय शक्ति की ना होकर मार्गदर्शक, कूटनीतिज्ञ, राजनीतिज्ञ, दोस्त, सलाहकार आदि की थी, मुख्य रूप से इस ग्रंथ की कहानी पांडवों और कौरवों की थी।
रावण के पुक्ष अक्षय कुमार का वध
वहीं जब यह सूचना लंकापति रावण के पास पहुंचती है तो वे उस वानर का वध करने के लिए अपनी कुछ सेना को भेजते हैं, लेकिन राम भक्त हनुमान एक-एक कर असुर रावण की सेना का वध कर देते हैं।
जिसे देख रावण बेहद क्रोधित हो जाता है और अपने पुत्र अक्षय कुमार को हनुमान जी का वध करने के लिए भेजता है। लेकिन पवनसुत हनुमान जी ने रावण के दुष्ट बेटे अक्षय कुमार को भी नहीं छोड़ा और उसका वध कर दिया।
अपने बेटे की मौत की खबर सुनकर रावण और ज्यादा भड़क जाता है और फिर वह अपने दूसरे पुत्र मेघनाथ को हनुमान जी को जिंदा पकड़कर सभा में लाने का आदेश देता है।
लेकिन मेघनाथ, हनुमान जी की शक्तियों से वाकिफ था इसलिए उसने ब्रम्हास्त्र का इस्तेमाल कर हनुमान जी का सामना किया और पवनपुत्र हनुमान को बंदी बनाकर रावण के समक्ष दरबार में पेश करता है।
पवन पुत्र हनुमान और महाबलशाली राक्षस रावण के बीच संवाद
जब मेघनाथ, हनुमान जी को रावण के दरबार में पेश करता है। तब क्रोधित रावण, हनुमान जी के लिए अपशब्द बोलता हैं और उनका घोर अपमान करता है।
लेकिन पवनपुत्र हनुमान पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है बल्कि वे महापापी रावण की बातों पर हंसते हैं जिसके बाद रावण को और ज्यादा गुस्सा आता है और वह हनुमान जी से पूछता है कि तुम्हें मृत्यु से डर नहीं लगता और तुम्हें यहां किसने भेजा है? (राम भक्त हनुमान )
जिसके बाद हनुमान जी ने उस असुर से कहा कि वह इस सृष्टि के पालन कर्ता हैं, जिन्होंने शिवजी का धनुष तोड़ा है और जिन्होंने बालि जैसे महान योद्धा का वध किया है और जिनकी पत्नी का तुमने छलपूर्वक हरण किया है।
इसके साथ ही हनुमान जी ने रावण से प्रभु राम से माफी मांगने को भी कहा और माता-सीता को सम्मान के साथ वापस करने के लिए कहा। और फिर असुर रावण को और भी ज्यादा गुस्सा आया और उसने अपने योद्दाओं को हनुमान जी का वध करने का आदेश दिया। (राम भक्त हनुमान )
लंका दहन
अपने राक्षस भाई रावण के इस आदेश पर विभीषण ने उन्हें रोकते हुए कहा कि यह दूत है और किसी दूत को सभा में मारना नियमों के खिलाफ हैं, जिसके बाद वह हनुमान जी की पूंछ में आग लगाने के आदेश देते हैं।
फिर क्या था हनुमान जी ने उछलते हुए एक महल से दूसरे महल, एक छत से दूसरी छत पर जाकर पूरी लंका नगरी में आग लगा देते हैं। लेकिन वह सिर्फ विभीषण का महल छोड़ देते हैं। (राम भक्त हनुमान)
इस तरह पूरी लंका नगरी जलकर राख हो जाती है। इसके बाद वे समु्द्र में जाकर अपनी पूंछ की आग बुझाते हैं और वापस विशाल रूप धारण कर किष्किंधा पहुंच जाते हैं, जहां वह भगवान राम और लक्ष्मण को माता-सीता की पूरी जानकारी देते हैं। (राम भक्त हनुमान)
लंका कांड
लंका कांड, महर्षि वाल्मीकि द्धारा रचित महाकाव्य रामायण का छठवां सोपन है। महाकाव्य के इस भाग में 5692 श्लकों की संख्या है।
इस कांड में लंका पर चढ़ाई के लिए रामसेतु का निर्माण, रावण का भेदी भाई विभीषण का प्रभु राम की शरण लेना, राम-रावण के बीच हुए युद्ध की कथा और श्री राम द्धारा रावण का वध और वनवास पूरा करने के बाद अयोध्या वापसी तक का घटनाक्रम शामिल किया गया है।
ऐसा मानना है कि रामायण के लंकाकांड या फिर युद्धकांड का पाठ करने से शत्रु की जय, उत्साह और अपवाद के दोषों से मुक्ति मिलती है।
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