अक्षय तृतीया: पवित्रता का पर्व, लक्ष्मी होंगी प्रसन्न

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अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया: दिन अत्यंत शुभ माना गया है. मान्यता है कि इस दिन खरीदारी, नए कार्य की शुरुआत, गृह प्रवेश, कारोबार का आरंभ आदि शुभ कार्य किए जाते हैं. यह भी माना जाता है कि इस दिन खासकर सोने-चांदी की खरीदारी करने से घर में माता लक्ष्मी का वास होता है और आर्थिक तंगी दूर होती है. लेकिन, एक कार्य और भी है,  जरूर करना चाहिए, इसस श्री हरि और माता लक्ष्मी अति प्रसन्न होते हैं.

कुछ खास चीजों का दान

इस साल  10 मई को है. अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी के साथ कुछ खास चीजों का दान भी करना चाहिए. इसका बड़ा महत्व माना गया है. इस दिन खरीदारी के साथ अगर जातक जरूरतमंदों के बीच कुछ चीजों का दान करते हैं तो इससे भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. आर्थिक परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. ईश्वर की कृपा साल भर बनी रहती है.

अक्षय तृतीया

 

क्षय न होने वाला मिलेगा पुण्य

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल है कि 10 मई को अक्षय तृतीया है. साल में यह तिथि सबसे शुभ मानी गई है. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को यह दिन समर्पित है. अक्षय तृतीया पर जितना खरीदारी का महत्व है, उतना ही दान का भी महत्व है. बिना दान के खरीदारी शुभ नहीं मानी जाती है. अक्षय तृतीया के दिन दान करने से पुण्य मिलता है, जिसका कभी क्षय नहीं होता. दान के प्रभाव से जीवन में अचानक कई बड़े बदलाव देखने को मिल जाते हैं. अगर आप अक्षय तृतीया के दिन दान करते हैं तो आपको 10 गुना फल मिलेगा.

अक्षय तृतीया

 

इन चीजों का करें दान

ज्योतिषाचार्य ने बताया कि वैशाख महीने में गर्मी अपनी चरम सीमा पर रहती है, इसलिए अक्षय तृतीया के दिन अगर जातक जरूरतमंदों के बीच छाता, घड़ा, गुड़, सत्तू, चप्पल, खाट आदि का दान करते हैं तो आपको कभी आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना होगा. आप कर्ज से मुक्त रहेंगे. साथ ही घर में लक्ष्मी का वास होगा. भगवान विष्णु की कृपा से हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहेगी.

अक्षय तृतीया

 

अक्षय तृतीया: पवित्रता का पर्व

अक्षय तृतीया एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारत में हर साल मनाया जाता है। यह त्योहार धर्म, संस्कृति, और धन की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस अवसर पर लोग विभिन्न प्रकार की खरीदारी करते हैं, लेकिन इसके साथ ही एक और महत्वपूर्ण परंपरा है जो जुड़ी है – दान और पुण्य की प्राप्ति।

धर्म का अद्वितीय महत्व  दान की महत्ता

अक्षय तृतीया को धार्मिक महत्व के साथ मनाया जाता है। इस दिन का महत्व है क्योंकि इसे एक सदाचारी और पुण्यमय दिन के रूप में माना जाता है। इस दिन लोग धार्मिक कार्यों, पूजा-अर्चना, और दान-धर्म के काम करते हैं जो उन्हें आनंद और शांति प्रदान करते हैं। दान करने की परंपरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन को धन और संपत्ति के प्राप्ति के लिए शुभ माना जाता है, लेकिन इसके साथ ही धार्मिक उत्सव के रूप में यह भी जाना जाता है कि दान करने से आत्मा को शुद्धि, और पुण्य की प्राप्ति होती है।

अक्षय तृतीया

 

धन की बरकत समृद्धि का संकेत

अक्षय तृतीया को खर्च करने का दिन भी माना जाता है, लेकिन इस खर्च में अधिकांश लोग धर्मिक और सामाजिक कार्यों के लिए ही खर्च करते हैं। इस दिन धन के खर्च करने से लोगों को धन की बरकत मिलती है और उनके घर में खुशहाली आती है। उत्सव में लोग खुशियों के साथ खरीदारी करते हैं और धन की प्राप्ति के संकेत के रूप में इसे मनाते हैं। यह दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की कृपा का प्रतीक माना जाता है जो समृद्धि और समृद्धि के साथ घर में आते हैं।

प्रसन्नता का दिन पुण्य का अनुभव

अक्षय तृतीया को एक खुशहाल और प्रसन्नता भरा दिन माना जाता है। इस दिन के उत्सव में लोग अपनी प्रेमिकाओं और परिवार के साथ वक्त बिताते हैं और एक-दूसरे को धन्यवाद और शुभकामनाओं का इजहार करते हैं। दान करने से व्यक्ति 10 गुणा पुण्य का अनुभव करता है। धर्म और प्रेम के साथ दान करने से उन्हें संतोष और समृद्धि का अनुभव होता है और उनका जीवन सफलता की ओर बढ़ता है।

अक्षय तृतीया

समापन

अक्षय तृतीया एक प्रमुख हिन्दू उत्सव है जो धर्म, संस्कृति, और समृद्धि की भावना को जीवन में समेटता है। इस दिन को धार्मिकता, प्रेम, और सहयोग के साथ मनाने से व्यक्ति को धन, समृद्धि, और शांति का अनुभव होता है।

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