अक्षय तृतीया: एक आध्यात्मिक महत्व ,बरसेगा पितरों का आशीर्वाद

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अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया : साल भर में 3 दिन ऐसे होते हैं जो सबसे शुभ दिन माना जाता है. उसी में से अक्षय तृतीया का दिन है. अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना का विशेष प्रधानता है. इस दिन सोना चांदी की खरीददारी जमकर की जाती है. इसके साथ ही नए व्यापार की शुरुआत करने से माता लक्ष्मी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. वहीं,अक्षय तृतीया के दिन पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे शुभ दिन माना जाता है. तो आईये देवघर के ज्योतिषआचार्य से जानते है कि अक्षय तृत्य के दिन पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए क्या करना चाहिए?

क्या कहते हैं ज्योतिष आचार्य

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिष आचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 से कहा कि 10 मई को अक्षय तृतीया है. उस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती है. इसके साथ ही इस दिन सोना चांदी की भी खरीदारी की जाती है.लेकिन, अगर इस दिन पितृ तर्पण के बिना आप सोना चांदी की खरीदारी करते हैं तो इसकी कोई महत्वा नहीं रह जाता है. देवी देवता और पूर्वजों के आशीर्वाद से ही घर में सुख समृद्धि बढ़ता है. वहीं, इस इस पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है. अगर जातक अक्षय तृत्य के दिन पितृ तर्पण करें तो घर में कभी भी गरीबी नहीं जाएगी और पितृ दोष से मुक्ति मिल जाएगी.

अक्षय तृतीया

 

क्या करे अक्षय तृत्य के दिन

ज्योतिष आचार्य बताते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन सोना चांदी की खरीदारी अवश्य करनी चाहिए. लेकिन, उससे पहले जल मे सफेद फूल और तिल डालकर पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए. इसके साथ ही गया जाकर श्राद्ध कर सकते है. वहीं, अक्षय तृतीया के दिन पितरों की पूजा कर पिंडदान अवश्य करनी चाहिए. इससे भटके हुए पितृ को मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं वह प्रसन्न होते हैं. पितरों के आशीर्वाद से ही घर में सुख समृद्धि की बढ़ोतरी होती है.

पितृ के नाम पर करे दान

अक्षय तृतीया के दिन पितृ के नाम दान का विधान है. इस दिन पितृ के नाम से किसी जरूरतमंदों में अन्न दान अवश्य करनी चाहिए. इसके साथ ही अक्षय तृतीया के दिन किसी ब्राह्मण, गाय, कौवा या कुत्ता को भोजन करने से पितृ तृप्त होते हैं और आपको भरपूर आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इससे आपके घर में कभी भी आर्थिक समस्या उत्पन्न नहीं होगी. पारिवारिक कलह नहीं बढ़ेगा. घर में सकारात्मक पूजा का संचार होगा और सुख समृद्धि की वृद्धि होगी.

अक्षय तृतीया

 

पितृदेवों का आशीर्वाद: अनमोल

अक्षय तृतीया भारतीय समाज में एक महत्वपूर्ण पर्व है जो धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का हिस्सा है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है और इसे ‘अक्षय’ यानी ‘अटूट’ माना जाता है। इस दिन लोग सोना, चांदी, या अन्य धातुओं की खरीदारी करते हैं।अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी की खरीदारी करने से पहले, हमें यह समझना चाहिए कि हम अपने पितरों के प्रति कितने समर्पित हैं। पितरों का आशीर्वाद हमारे लिए अनमोल है, और उनकी आत्मा को शांति मिलने के लिए हमें उनका सम्मान और प्रेम करना चाहिए।

कर्मों का फल: धार्मिक मान्यता

हिंदू धर्म में कहा गया है कि हमारे कर्मों का फल हमें इस जीवन और उसके आगामी जन्मों में भी मिलता है। अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी की खरीदारी करके हम अपने पितरों के आत्मा को शांति और सुख दे सकते हैं, जो हमें भविष्य में भी आने वाले परिस्थितियों में सहायक हो सकते हैं।

अक्षय तृतीया

 

धन का उपयोग: समझदारी

सोना और चांदी की खरीदारी करना एक आवश्यकता हो सकता है, लेकिन हमें इसे समझदारी से करना चाहिए। हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि इसे सिर्फ आनंद के लिए नहीं, बल्कि समर्पण और पितृदेवों के स्मरण के साथ किया जाना चाहिए।

सांस्कृतिक धारा: संबल

अक्षय तृतीया का यह परंपरागत आचरण हमारे समाज की संबल को बढ़ाता है। इस दिन सोना और चांदी की खरीदारी समाज में समृद्धि और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती है, लेकिन साथ ही पितृदेवों का स्मरण भी किया जाता है।

अक्षय तृतीया

 

समाप्ति

इस प्रकार, अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी की खरीदारी करने से पहले हमें यह ध्यान देना चाहिए कि हम इसे धार्मिक दृष्टिकोण से भी देखें और पितृदेवों के आशीर्वाद का सम्मान करें। इससे हमारे जीवन में समृद्धि और शांति का आनंद मिलता है।

 

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