कब है सतुआ संक्रांति: क्या है इसका महत्व? इस दिन करें इन चीजों का दान; मिट जाएंगे सारे पाप!

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कब है सतुआ संक्रांति:

कब है सतुआ संक्रांति:उत्तर और पूर्वी भारत के कई राज्यों में सतुआ संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. यह एक ऐसा लोकपर्व है, जिसमें सतुआ दान करने का जितना महत्व है, उतना ही उसके सेवन करने का भी है. इसके पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनो वजह हैं. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य राशि परिवर्तन कर मीन से मेष राशि में प्रवेश करता, तो उस दिन को सतुआ संक्रांति या बैसाखी के नाम से जाना जाता है.

 गा स्नान का विशेष महत्वगं

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन हरिद्वार और काशी मे गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. इसके अलावा कुछ खास चीजों के दान से पापों का नाश होता है. काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि 13 अप्रैल को रात्रि 11 बजकर 17 मिनट पर सूर्य मीन राशि से मेष राशि में प्रवेश करेंगे. मध्यरात्रि से पहले सूर्य मेष राशि में प्रवेश कर रहे हैं. इसलिए संक्रांति का मान 13 अप्रैल को ही होगा.

कब है सतुआ संक्रांति

 जरूर करें इन चीजों का दान

13 अप्रैल को मध्यान काल से सूर्यास्त से पहले तक लोग गंगा स्नान कर सकते हैं. इस दिन काशी और हरिद्वार में गंगा स्नान के बाद सत्तू, पंखा, श्रीफल और जल भरा घड़ा दान करने का विशेष महत्व है और इससे पितर तृप्त होते हैं और पापों का नाश भी होता है.

ये होता है फायदा

पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन भरा हुआ घड़ा दान करने से पितर तृप्त होते हैं. वहीं सत्तू के दान से देव प्रसन्न होते हैं और पापों का नाश होता है. इसके अलावा पंखा दान से कुंडली का चंद्रमा मजबूत होता है और शरीर में जलतत्व की कमी दूर होने के साथ ही समस्याएं भी दूर होती है.

सतुआ संक्रांति

जो परंपरागत भारतीय धार्मिक पर्व है, हिन्दू पंचांग में फाल्गुन महीने के शुक्ल पक्ष की चौथी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व साल के महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है और लोगों के लिए धार्मिक और सामाजिक महत्व का होता है।

कब है सतुआ संक्रांति

क्या है इसका महत्व?

सतुआ संक्रांति का महत्व विविधता और एकता को समझाने के लिए होता है। इस दिन के मनाने से लोग समाज में सौहार्दपूर्ण भावनाओं को महसूस करते हैं। यह पर्व लोगों को एक-दूसरे के साथ बंधुत्व और प्रेम का महत्व समझाता है।

इस दिन करें इन चीजों का दान; मिट जाएंगे सारे पाप!

सतुआ संक्रांति के दिन लोग दान और दान के काम में लगते हैं। इस दिन किसी भी तरह की दान-दान धर्म, खान-पान, वस्त्र आदि किया जाता है। यह एक पुण्य का अवसर माना जाता है और लोग मान्यताओं के अनुसार अनेक धर्मिक और सामाजिक क्रियाएं करते हैं।

इस तरह, सतुआ संक्रांति एक महत्वपूर्ण पर्व है जो समृद्धि, खुशी, और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देता है। इस दिन के मनाने से हम अपने आसपास के लोगों के साथ भाईचारा और प्रेम का महत्व समझते हैं, और एक उत्तम समाज की दिशा में कदम बढ़ाते हैं।

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