कष्टों से मुक्ति:महाअष्टमी पर महागौरी की पूजा की विधि और मंत्र

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कष्टों से मुक्ति

कष्टों से मुक्ति:चैत्र नवरात्रि की नौ शक्तियों में आठवीं शक्ति यानी मां महागौरी की ​अराधना की जाती है. महागौरी का स्वरूप अत्यंत सुंदर , श्योत, प्रकाशमय और ज्योतिर्मय माना जाता है. पौराणिक कथाओं और धर्मग्रंथों के अनुसार नवरात्रि के अष्टमी तिथि को विशेष तिथि के रूप में मनाया जाता है. इसी कारण इसे महाअष्टमी के रूप में मनाते हैं. मान्यता है कि जो भी महाअष्टमी का व्रत रहकर मां महागौरी की उपासना करता है, माता महागौरी उसके कष्टों का निवारण करती हैं और माता का आशीर्वाद भक्त के ऊपर सदैव बना रहता है.

मां महागौरी

मनुष्य ही नहीं देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर आदि भी अष्टमी पर मां का पूजन करते हैं. मान्यता है इस दिन जो भी भक्त मां महागौरी की अराधना करता है, वह सुख, वैभव, धन, धान्य से समृद्ध होता है. साथ ही रोग, व्याधि, भय, पीड़ा से मुक्त होता है. मां महागैरी का यह दिन विशेष है.

मां का स्वरूप

आचार्य पंकज सांवरिया ने लोकल 18 से कहा कि मां महागौरी का स्वरूप गौर वर्ण है. मां करुणा वरुणालय हैं. मां सहज और सरल हैं. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से की गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं, इसलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है. 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है. इसलिए वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.

 महागौरी

 

महागौरी को लगता है यह भोग

महागौरी को गुलाबी, जमुनी, श्वेत, रंग अत्यन्त प्रिय है. यह प्रेम का प्रतीक है. आचार्य पंकज सांवरिया ने लोकल 18 को बताया कि मां को मोगरे और रातरानी का पुष्प अत्यन्त प्रिय है. माता को भोग में पूरी, हलवा और नारियल से बने खाद्य पदार्थ सहित काले चने का भोग अवश्य लगाएं. मां को यह भोग अत्यन्त प्रिय है.

यह है पूजा की विधि

सब से पहले प्रातः उठ कर स्नान इत्यादि के पश्चात साफ़ सुथरे सुद्ध कपड़े पहनें मां की बैठकी सजाएं और गंगा जल की बूंदे अपने ऊपर डाल खुद को शुद्ध कर पूजन प्रारंभ करें तत्पश्चात माता की प्रतिमा को गंगा जल से स्नान कराएं अक्षत, रोली, पुष्प, नैवेद्य, वस्त्र इत्यादि चढ़ावें मां को पूरी , हलवा, नारियल से बने पकवानों का भोग लगाएं और आरती के पश्चात पूजा में हुई त्रुटि के लिए क्षमा मागें.

महागौरी की पूजा विधि और मंत्र

महागौरी देवी की पूजा नवरात्रि के आठवें दिन, अर्थात महाअष्टमी पर की जाती है। यह दिन भगवानी का अवतार महागौरी के आगमन का उत्सव मनाया जाता है। महागौरी देवी को सादर नमन करते समय, श्रद्धा और भक्ति के साथ उनकी पूजा की जानी चाहिए।

 महागौरी

 

पूजा की विधि

1. ध्यान और स्थापना: पूजा की शुरुआत में महागौरी माता का ध्यान करें और मन्त्रों के साथ उनकी मूर्ति को स्थापित करें।

2. कलश स्थापना: पूजा स्थल पर कलश स्थापित करें और उसमें पानी, दुर्वा, रोली, अक्षत, नारियल आदि रखें।

3. धूप और दीप: महागौरी माता को धूप और दीप के साथ आराधित करें।

4. पुष्पांजलि: फूलों की माला बनाकर उन्हें अर्पित करें और मंत्रों का जाप करें।

5. प्रसाद अर्पण: पूजा के बाद प्रसाद बांटें और उसे सभी को दें।

मंत्र

“या देवी सर्वभू‍तेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

महागौरी माता की इस पूजा को आराधना करने से भक्त को कष्टों से मुक्ति मिलती है और उन्हें शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस पवित्र अवसर पर अपनी मनोकामनाओं को सिद्ध करने की कामना करते हुए, भक्त इस उत्सव को ध्यान, श्रद्धा, और परमात्मा की आराधना के साथ मनाते हैं।

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