चैत्र नवरात्रि का छठा दिन आज: रवि योग में मां कात्यायनी की पूजा, जानें विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग

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 चैत्र नवरात्रि का छठा दिन आज:

चैत्र नवरात्रि का छठा दिन आज: 14 अप्रैल दिन रविवार को है. चैत्र मा​ह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को नवरात्रि का छठा दिन होता है और उस दिन मां दुर्गा के छठवें स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी की आराधना करने से व्यक्ति को शक्ति और अभय यानी निडरता प्राप्त होती है. उनके आशीर्वाद से कठिन से कठिन कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. नकारात्मकता का अंत होता है और यश की प्राप्ति होती है. आज मां कात्यायनी की पूजा रवि योग में होगी.  कि मां कात्यायनी की पूजा विधि, मुहूर्त, मंत्र, भोग, आरती क्या है?

आज बने हैं 2 शुभ योग

आज के दिन दो शुभ योगों का निर्माण हुआ है. आज के दिन रवि योग सुबह 05:56 एएम से बन रहा है, जो देर रात 01:35 एएम तक है. वहीं त्रिपुष्कर योग आज देर रात 01:35 एएम से कल सुबह 05:55 एएम तक है. आज पूरे दिन आर्द्रा नक्षत्र है, जिसका समापन देर रात 01:35 एएम पर होगा.

कौन हैं मां कात्यायनी?

सिंह पर सवार रहने वाली मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं, जिसमें वे कमल, तलवार आदि धारण करती हैं. कात्यायन ऋषि ने मां दुर्गा को अपने तप से प्रसन्न किया था, देवी ने जब उनको दर्शन देकर आशीर्वाद मांगने को कहा तो उन्होंने उनको अपनी पुत्री के रूप में पाने की इच्छा प्रकट की. मां दुर्गा उनके घर पुत्री के रूप में प्रकट हुईं, जिनका नाम कात्यायनी पड़ा. वे अपने भक्तों को अभय प्रदान करती हैं.

 

मां कात्यायनी

 

मां कात्यायनी का प्रिय भोग

आज पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए. इसके अलावा आप देवी को
मीठा पान और लौकी का भी भोग लगा सकते हैं.

मां कात्यायनी का पूजा मंत्र

1. मां देवी कात्यायन्यै नमः

2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे, जय कात्यायनी। जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा। वहां वरदाती नाम पुकारा।

कई नाम हैं, कई धाम हैं। यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी। कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

हर जगह उत्सव होते रहते। हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

कात्यायनी रक्षक काया की। ग्रंथि काटे मोह माया की।

झूठे मोह से छुड़ाने वाली। अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो। ध्यान कात्यायनी का धरियो।

हर संकट को दूर करेगी। भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे। कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

कात्यायनी माता की जय, कात्यायनी माता की जय, कात्यायनी माता की जय!

मां कात्यायनी

दिव्य स्त्रीत्व का जश्न मनाना

आज चैत्र नवरात्रि का छठा दिन है, जो देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा को समर्पित त्योहार है। रवि योग के नाम से जाना जाने वाला यह शुभ दिन देवी दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा के लिए समर्पित है। दुनिया भर में भक्त दिव्य माँ से आशीर्वाद पाने के लिए विशेष प्रार्थना, अनुष्ठान और प्रसाद में संलग्न होते हैं।

पूजा अनुष्ठान और अनुष्ठान

भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, खुद को साफ करते हैं और अपने घरों और वेदियों को फूलों और रंगोलियों से सजाते हैं। दिन की शुरुआत देवी कात्यायनी को समर्पित मंत्रों के पाठ से होती है, उनकी दिव्य उपस्थिति का आह्वान किया जाता है और शक्ति, साहस और सुरक्षा के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है। श्रद्धा और कृतज्ञता के संकेत के रूप में देवता को फूल, फल, मिठाइयाँ और धूप की विशेष पेशकश की जाती है।

मुहूर्त एवं समय

हिंदू ज्योतिष के अनुसार, नवरात्रि का छठा दिन, विशेष रूप से रवि योग के दौरान, धार्मिक अनुष्ठानों और अनुष्ठानों को करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। अधिकतम आध्यात्मिक लाभ और आशीर्वाद सुनिश्चित करने के लिए, भक्त अक्सर पूजा आयोजित करने के लिए सटीक मुहूर्त या शुभ समय निर्धारित करने के लिए ज्योतिषियों से परामर्श लेते हैं।

मां कात्यायनी

मंत्र और मंत्र

पूजा के दौरान, भक्त देवी कात्यायनी को समर्पित पवित्र मंत्रों का जाप करते हैं, जैसे “ॐ देवी कात्यायनै नमः” (ओम देवी कात्यायन्यै नमः) और “कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।” माना जाता है कि ये मंत्र देवी की दिव्य ऊर्जाओं का आह्वान करते हैं और उनके साथ आध्यात्मिक संबंध स्थापित करते हैं।

प्रसाद एवं भोग

पूजा अनुष्ठानों के भाग के रूप में, भक्त देवी कात्यायनी को भोग (पवित्र भोजन प्रसाद) के रूप में विभिन्न वस्तुएं चढ़ाते हैं। इसमें खीर, हलवा जैसी पारंपरिक मिठाइयाँ और केले और नारियल जैसे फल शामिल हो सकते हैं। भोग को बाद में भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है, माना जाता है कि इससे देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

आध्यात्मिक महत्व

नवरात्रि का छठा दिन अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय और दिव्य स्त्रीत्व की शक्ति का प्रतीक है। देवी कात्यायनी को साहस, वीरता और धार्मिकता के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, और माना जाता है कि उनकी पूजा भक्तों को आंतरिक शक्ति और नकारात्मकता और बाधाओं से सुरक्षा प्रदान करती है।

निष्कर्ष

जैसे-जैसे चैत्र नवरात्रि शुरू होती है, प्रत्येक दिन भक्तों के लिए परमात्मा के साथ अपने आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने का अवसर लेकर आता है। छठे दिन, जब हम भक्ति और ईमानदारी के साथ देवी कात्यायनी की पूजा करते हैं, तो हमें चुनौतियों पर काबू पाने और शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक पूर्णता से भरा जीवन जीने के लिए उनकी कृपा और मार्गदर्शन का आशीर्वाद मिले।

 

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