तोता मुखी हनुमान :- क्या आपने देखे हैं, यूपी में यहां है इनका मंदिर

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तोता मुखी हनुमान

हनुमान जी जल्द ही प्रसन्न होने वाले भगवान हैं. मान्यता है कि हनुमान जी एकमात्र ऐसे देवता हैं जो आज भी देश में भ्रमण करते हैं. ऐसा माना जाता है जो कोई व्यक्ति पूरी श्रद्धा से हनुमान जी की स्तुति करता है उस पर बजरंग बली अपनी कृपा बरसाते हैं. वैसे तो भगवान हनुमान जी के बहुत से स्वरुप हैं. लेकिन क्या कभी आपने तोता मुखी हनुमान जी के दर्शन किए हैं. अगर नहीं तो आपको तोता मुखी हनुमान जी के दर्शन करने के लिए चित्रकूट आना होगा.

दरअसल, चित्रकूट के रामघाट में बने तोता हनुमान जी के मंदिर की अलग पहचान है. मंदिर की ऐसी मान्यता है कि तोतामुखी हनुमान का भोग आम और बेर है. जो कि उन्हें बेहद पसंद है और जो भी भक्त यहां आम और बेर का फल चढ़ाता है उसकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती है. इस तोता मुखी हनुमान जी के मंदिर के स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान श्रीराम के दर्शन प्राप्त हुए थे. यह दर्शन तोतामुखी हनुमान जी के द्वारा प्राप्त करवाए गए थे. चित्रकूट को भगवान राम की तपोभूमि माना जाता है. यहां श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवासकाल के दौरान साढ़े 11 वर्ष से अधिक का समय बिताया था.

आखिर क्यों तोता मुखी हनुमान है खास

यहीं पर गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान श्री राम के दर्शन प्राप्त हुए थे. मान्यता है कि इस स्थान पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने छह महीने तक राम नाम का भजन भी किया था. तभी एक दिन गोस्वामी तुलसीदास जी भगवान श्रीराम की भक्ति में लीन चंदन घिस रहे थे. तब भगवान श्री राम खुद उनके सामने आए और तुलसीदास जी से चंदन लगाने के लिए मांगने लगे. लेकिन गोस्वामी तुलसीदास जी चंदन घिसने में एक दम मगन थे और उन्हें भगवान भी नहीं दिखाई दे रहे थे.

 

तोता मुखी हनुमान

 

हनुमान जी का नाम तोतामुखी क्यों पड़ा

मंदिर के पुजारी मोहित दास बताते हैं कि हनुमान जी ने देखा कि हमेशा की तरह उस दिन भी गोस्वामी तुलसीदास जी चंदन घिसने में मगन हैं, ऐसे में वह भगवान के दर्शन नहीं कर पाएंगे. तब हनुमान जी ने तोते का रूप लिया और तोते के रूप में तुलसीदास जी को एक चौपाई सुनाया जो विश्व भर में प्रसिद्ध है. ‘चित्रकूट के घाट पर भई संतन की भीड़, तुलसीदास चंदन घिसैं तिलक देत रघुवीर’.जब तुलसीदास जी ने इस दोहे को मीठी वाणी में सुना तब उन्होंने अपने नेत्र खोले तो उन्हें भगवान श्री राम के दर्शन हो गए, तब से यहां पर हनुमान जी का नाम तोतामुखी हनुमान पड़ गया है.

 

तोता मुखी हनुमान

 

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