दुबई में पहले हिन्दू मंदिर
दुबई में पहले हिन्दू मंदिर : दुबई में पहले हिन्दू मंदिर का निर्माण अपने आप में खास है. लेकिन इससे खास बात यह है कि मंदिर के निर्माण में विश्व के कई प्रमुख दूसरे धर्मों के लोगों ने सहयोग किया गया है. इस तरह यह मंदिर न केवल हिन्दू धर्म का प्रतीक है , बल्कि विश्व के अलग-अलग धर्मों की आपसी सद्भावना और सहयोग का द्योतक भी है.बीएपीएस हिंदू मंदिर पत्थरों से बना मिडिल-ईस्ट का पहला पारंपरिक हिंदू मंदिर है. अबू मुरीखाह जिले में स्थित यह शानदार संरचना भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच स्थायी दोस्ती का प्रमाण है.
सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद
2015 में, अबू धाबी के क्राउन प्रिंस और संयुक्त अरब अमीरात सशस्त्र बलों के उप सर्वोच्च कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान ने मंदिर के निर्माण के लिए 13.5 एकड़ जमीन दान की थी. यूएई सरकार ने जनवरी 2019 में 13.5 एकड़ अतिरिक्त भूमि आवंटित की , जिससे मंदिर के लिए कुल 27 एकड़ भूमि उपहार में दी गई.इस तरह मंदिर की जमीन मुस्लिमों द्वारा दी गयी. वहीं, मंदिर के प्रमुख आर्कीटेक्ट क्रिश्चियन हैं, प्रोजेक्ट मैनेजर सिख धर्म से हैं, कंस्ट्र्रक्शन कांट्रैक्टर पारसी हैं, स्ट्रक्चर इंजीनियर बुद्धिस्ट हैं, निर्माण हिन्दुओं ने कराया है और खास बात यह है कि चीफ कंसल्टेंट इथीईस्ट (किसी धर्म को न मानने वाले) हैं. इस तरह मंदिर विश्वभर के कई धर्मों – संस्कृति की एकता और सद्भावना का प्रतीत है.
मंदिर की खासियत :दुबई में पहले हिन्दू मंदिर
मंदिर के आंतरिक भाग के निर्माण में 40,000 घन फुट संगमरमर का उपयोग किया गया है. मंदिर की ऊंचाई 108 फुट, चौड़ाई 180 फुट और लंबाई 262 फुट है. मंदिर को बनाने में उत्तरी राजस्थान से अबू धाबी तक गुलाबी बलुआ पत्थर पहुंचाया गया है यूएई की भीषण गर्मी से इन पत्थरों को कुछ नहीं होगा. वहीं इटली से संगमरमर लाया गया है. कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए मंदिर की नींव में कंक्रीट के मिश्रण के साथ फ्लाई ऐश का इस्तेमाल किया गया है.
धर्मों का संगठन सामरस्य का संदेश
दुबई के नगरीय मंडल में हिन्दू मंदिर का निर्माण एक साहसिक कदम है, जिसमें विश्व के विभिन्न धर्मों ने मिलकर काम किया। यह साबित करता है कि विभिन्न धर्मों के अनुयायियों के बीच सामंजस्य और सहयोग संभव है। इस मंदिर के निर्माण से, दुबई ने एक सशक्त संदेश भेजा है कि यहां के लोगों के बीच सामरस्य और सद्भावना का वातावरण है। धर्म और सम्प्रदायों के बीच एकता की बढ़ती ज़रुरत को ध्यान में रखते हुए, यह मंदिर एक बड़ा कदम है।
सामाजिक समर्थन प्रगति का पथ
विभिन्न समुदायों और धर्मों के लोगों के सामूहिक सहयोग ने इस परियोजना को समर्थन और प्रोत्साहित किया है। इससे सामाजिक और सांस्कृतिक एकता को मजबूती मिली है।यह मंदिर दुबई की स्थायित्व और प्रगति के पथ को दर्शाता है। यह दिखाता है कि एक विश्व नागरिक समूह कैसे समृद्धि और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
मंदिर का निर्माण भी दुबई के सांस्कृतिक
इस मंदिर का निर्माण भी दुबई के सांस्कृतिक मेले को और अधिक समृद्ध करेगा। यह स्थान अब एक आकर्षक पर्यटक स्थल के रूप में उभर रहा है, जो विभिन्न धर्मों के लोगों को आकर्षित करेगा।यह प्रक्रिया एक संवाद का उदाहरण भी है, जो अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच समझौता और सहयोग को बढ़ावा देता है। यह सब वास्तव में एक ऐतिहासिक पल है, जो सामंजस्य और एकता की ओर हमें अग्रसर करता है।
सामाजिक सहायता आध्यात्मिक समृद्धि
इस मंदिर का निर्माण समाज के विभिन्न वर्गों को समृद्धि और विकास की दिशा में सहारा देने का एक और माध्यम है। इससे स्थानीय समुदाय को आर्थिक रूप से भी लाभ मिलेगा।इस मंदिर का निर्माण दुबई के आध्यात्मिक समृद्धि और संबलता को बढ़ावा देता है। इससे लोगों को आध्यात्मिक शांति और संतुलन का अनुभव होगा।संस्कृति के माध्यम से लोगों को एक साथ लाने का प्रयास करता है। यह सीख हमें स्वीकारनी चाहिए और इसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
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