पूरी होगी हर कामना
पूरी होगी हर कामना:उत्तराखंड में कई पौराणिक मंदिर हैं. नवरात्रि के दिनों में इन देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है. इन्हीं में से कुछ मंदिर नैनीताल में भी हैं, जो अपने आप में अनूठे हैं. चैत्र नवरात्र के मौके पर आइए नैनीताल के इन मंदिरों के बारे में जानते हैं.
मां पाषाण देवी का मंदिर
नैनीताल के ठंडी सड़क इलाके में मां पाषाण देवी का मंदिर है. यहां मां स्वयं एक चट्टान में अपने नौ रूपों के साथ प्रकट हुई हैं. शिला में खुद ही मां का मुख एवं अन्य नौ रूप उभरे हुए हैं. मान्यता है कि मां का बाकी शरीर नैनी झील के भीतर है. नैनीताल के पाषाण देवी मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में मां की मूर्ति से अभिमंत्रित जल को नियमानुसार पीने से हकलाने से लेकर तमाम तरह की बीमारियां दूर हो जाती हैं.
मां नयना देवी मंदिर
नैनीताल में स्थित मां नयना देवी मंदिर देश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां माता सती का नेत्र गिरा था. इस वजह से इसे नयना देवी के नाम से जाना जाता है. नयना देवी मंदिर नैनीताल का प्रमुख मंदिर है.नैनीताल से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर खुर्पाताल में कालाढुंगी मार्ग के समीप मां मनसा देवी का मंदिर है. इस मंदिर में प्रत्येक वर्ष नवरात्र में भंडारे का आयोजन किया जाता है. मान्यता है कि यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है.
हिडिंबा देवी का प्राचीन मंदिर
नैनीताल के समीप सातताल में हिडिंबा पर्वत की चोटी पर हिडिंबा देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है. साल 1978 में इस जगह पर महायोगी बनखंडी महाराज आए थे और इस मंदिर की स्थापना की थी. इस स्थान पर देश के सभी राज्यों की मिट्टी मौजूद है. इस मंदिर को वनदेवी के मंदिर के रूप में भी पूजा जाता है.शीतला देवी का मंदिर नैनीताल शहर से मात्र 3 किमी की दूरी पर स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर के पास स्थित है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर में माता के दर्शन मात्र से ही चेचक जैसी बीमारी ठीक हो जाती है. यहां भी मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है.
मां दुर्गा
चौथे दिन के सवेरे, मंदिर की चारों ओर गूंजने लगता है भगवान का नाम। लोगों की आंखों में उमंग और मन में आनंद की बौछार छाई रहती है। विशाल चट्टान पर बसे मां दुर्गा के नौ रूपों की महिमा को अनुभव करने का समय आ गया है।
नवरात्र में करें पौराणिक मंदिरों का दर्शन
नवरात्र के इस पवित्र अवसर पर, धरती पर एक अद्भुत उत्सव का आयोजन होता है। पौराणिक मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है, जो मां दुर्गा के आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए उनका दर्शन करते हैं।
पूरी होगी हर कामना
नवरात्र का महत्व इसमें है कि यह भगवान की कृपा का पर्व है, जो हर भक्त की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। यह अवसर हमें साकार करता है कि सच्चे मन से पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है।
संगीनी में भक्ति का संगम
नवरात्र के दौरान, मंदिरों में भक्तों की भीड़ नहीं सिर्फ धार्मिक अर्थ में होती है, बल्कि यहाँ भक्ति का संगम भी होता है। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर प्रार्थना करते हैं और एक-दूसरे के साथ आत्मीयता का अनुभव करते हैं।
धर्म के अनुष्ठान में एकता का सन्देश
नवरात्र का यह पर्व हमें यह सिखाता है कि धर्म के अनुष्ठान में एकता का सन्देश है। इस समय, लोग जाति, धर्म, और समाज की बाधाओं को भूलकर एक-दूसरे के साथ मिलकर पूजा करते हैं।
संगीत और कला का महोत्सव
नवरात्र का उत्सव ध्वनित होता है संगीत और कला के महोत्सव से। रात्रि के समय, मंदिरों में संगीत के कलाकार अपनी मधुर धुनों से भक्तों का मन मोह लेते हैं और उन्हें देवी की आराधना में लीन कर देते हैं।
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