प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे: गलियों में बच्चों की तरह घूमते थे, उनके परिवार की परिचय

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प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे:

प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे:देश-विदेश में इन दिनों वृंदावन के प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे हैं. जिस प्रकार से वह बेहद छोटी-छोटी सीख से लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रहे हैं. उनके प्रवचनों को सुनने के लिए उनके दर्शन करने के लिए दुनिया भर से लोग बड़ी संख्या में वृंदावन जाते हैं. रात भर जागकर उनके दर्शन के लिए आतुर रहते हैं. उनसे अपने प्रश्नों के जवाब पाने के लिए इंतजार करते हैं. और प्रेमानंद महाराज जी द्वारा लोगों के सभी प्रश्नों उनकी जिज्ञासाओं का उत्तर दिया जाता है. आज हम आपको प्रेमानंद जी के बचपन और उनके घर परिवार के बारे में बताएंगे.

कानपुर मुख्यालय:

प्रेमानंद महाराज का जन्म कानपुर मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर दूर सरसौल ब्लॉक के अखरी गांव में हुआ है. कभी इस गांव को शायद कानपुर के लोग भी ना जानते हो. लेकिन, आज यह देश ही नहीं पूरी दुनिया में विख्यात हो चुका है. हालांकि, यहां से एक बार चले जाने के बाद दोबारा कभी प्रेमानंद महाराज जी वापस नहीं आए. लेकिन, यह गांव उनका जन्म स्थान है इसलिए यह बेहद खास है.

प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे

 

इन गलियों में बीता है बचपन

प्रेमानंद महाराज अखरी गांव में 13 साल की उम्र तक रहे हैं. यही की गलियों में खेत खलियानों में उनका जीवन व्यतीत हुआ है. 13 साल की उम्र तक वह यहीं पर अपने परिवार के साथ रहते थे. उनके परिजनों ने बताया कि बचपन से ही घर में आध्यात्मिक माहौल था. वह भी शुरुआत से बेहद अध्यात्म से जुड़े हुए थे. उन्हें भागवत पढ़ना बेहद अच्छा लगता था. वह हमेशा धार्मिक कार्यक्रमों को लेकर उत्साहित रहते थे. यही वजह थी कि 13 साल की उम्र में उन्होंने घर का त्याग कर दिया. और संन्यासी के रूप में अपना जीवन जीने लगे.

प्रेमानंद महाराज के परिवार में कितने लोग हैं?

प्रेमानंद महाराज ने 13 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया था. पारिवारिक लोगों से भी उन्होंने अपना मोह त्याग लिया. उनके परिवार की बात की जाए तो वह तीन भाइयों में दूसरे नंबर पर थे. उनसे बड़े भाई पंडित गणेश शंकर शास्त्री हैं, जो अभी भी गांव में रहते हैं. दूसरे नंबर पर प्रेमानंद महाराज जी थे, जिनका नाम अनिरुद्ध पांडे था. वहीं, सबसे छोटे घनश्याम पांडे है.इनकी चार बहनें भी थी, जिनका नाम मुन्नी देवी ,पुष्पा ,शशि और रानी है. वहीं, प्रेमानंद महाराज के पिता का नाम शंभू पांडे था और उनकी माता का नाम रमा देवी था.

प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे

 

 उनके परिवार की परिचय

प्रेमानंद महाराज, भारतीय साहित्य के शिखर पर्वक्षेत्र में एक प्रमुख नाम हैं। उनके लेखन का प्रभाव आज भी अद्वितीय है। हालांकि, उनके जीवन के पीछे छुपे उनके परिवार के विशेषताओं को समझना भी महत्वपूर्ण है।

पिता – शंकर राय:

प्रेमानंद के पिता, शंकर राय, एक सरल और सामाजिक व्यक्तित्व थे। वे अपने समाज के उत्थान के लिए समर्पित थे और साहित्य के प्रति उनका प्रेम उत्कृष्ट था।

माता – अमृता देवी:

प्रेमानंद की माता, अमृता देवी, उनके शिक्षा में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। उन्होंने अपने बेटे को समाजिक उत्थान और साहित्य के महत्व को समझाया।

भाई – भूषण चंद्र:

प्रेमानंद का भाई, भूषण चंद्र, भी एक प्रख्यात साहित्यकार थे। उनके साथ उनका गहरा संबंध था और उनका साथीत्व उन्हें लेखन में नई दिशाएँ देखने में मदद करता था।

प्रेमानंद महाराज जी के चर्चे

पत्नी – सरोजिनी देवी:

प्रेमानंद की पत्नी, सरोजिनी देवी, भी एक प्रेरणास्त्रोत थीं। उनका साथ उन्हें लेखन की उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

पुत्र – आजाद:

प्रेमानंद का पुत्र, आजाद, भी एक समाजसेवी और साहित्यकार था। उन्होंने अपने पिता के उपदेशों का अनुसरण किया और उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए समाज की सेवा की।

पुत्री – मनोरमा:

प्रेमानंद की पुत्री, मनोरमा, भी एक साहित्यकार और शिक्षिका थीं। उन्होंने अपने पिता के आदर्शों को आगे बढ़ाते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया।

इन सभी परिवारिक सदस्यों ने प्रेमानंद के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके साहित्यिक योगदान को समृद्ध किया। उनका परिवार उनके लेखन के पीछे छिपे ज्ञान और समर्थन का महत्वपूर्ण स्रोत था।

 

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