बांके बिहारी मंदिर: क्यों है इसकी जरूरत और क्या होगा इसमें खास? यहां जानें इसका इतिहास

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बांके बिहारी मंदिर

बांके बिहारी मंदिर: श्रद्धालु श्री ठाकुर बांके बिहारी जी महाराज का सुगमता के साथ दर्शन-पूजन कर सकें इसके लिए बांके बिहारी कॉरिडोर के निर्माण को हरी झंडी मिल गई है। आइए जानते हैं इस कॉरिडोर से जुड़े सभी अहम सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर में।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार के गलियारे (कॉरिडोर) के निर्माण को हरी झंडी दे दी थी। अब जल्द ही यूपी सरकार की ओर से बांके बिहारी कॉरिडोर का निर्माण कार्य शुरू किया जा सकता है।

यहां भक्तों को सुविधाएं मिलेंगी

अरबों रुपये की लागत से बन रहे इस कॉरिडोर का मकसद देश-विदेश से आने वाले अनगिनत भक्तों को आसानी से भगवान बांके बिहारी के दर्शन कराना है। लेकिन आखिर इस कॉरिडोर की जरूरत क्यों पड़ी, इसमें क्या खास होगा, यहां भक्तों को कौन सी सुविधाएं मिलेंगी? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब हमारे इस एक्सप्लेनर में।

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क्या है बांके बिहारी मंदिर का इतिहास?

साल 1864 में श्रीकृष्ण के परम भक्त स्वामी हरिदास ने वृंदावन धाम में बांके बिहारी मंदिर का निर्माण करवाया था। ये मंदिर यूपी के मथुरा में स्थित वृंदावन धाम के रमण रेती पर स्थित है। मंदिर में भगवान कृष्ण का ही एक रूप स्थित है। भक्तों का मानना है कि मंदिर में स्थित भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है। लाखों की संख्या में श्रद्धालु देश-विदेश से  दर्शन के लिए आते हैं।

क्यों पड़ी कॉरिडोर की जरूरत?

दरअसल, साल 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में कहा गया था कि मंदिर में हर रोज करीब 40-50 हजार लोग आते हैं। वहीं, सप्ताह के अंत में ये संख्या लाखों में पहुंच जाती है। इस कारण पूरे वृंदावन में भीड़ और भगदड़ जैसी स्थिति होती है। इस दौरान  प्रशासन पूरी तरह से फेल हो जाता है और कोई कदम नहीं उठाया जाता। इस लिए याचिका में सरकार को उचित कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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कैसा होगा कॉरिडोर?

कॉरिडोर का निर्माण भी काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के तर्ज पर ही करवाने की योजना है। 500 करोड़ की लागत से बनने वाले इस कॉरिडोर की मदद से मंदिर और यमुना नदी को जोड़ा जाएगा। भक्त यमुना में डुबकी लगाने के बाद कॉरिडोर की मदद से सीधे मंदिर तक पहुंच सकेंगे। सरकार द्वारा इस कॉरिडोर का निर्माण करीब 5 एकड़ की भूमि में करवाया जाएगा। इसके साथ ही कॉरिडोर के रास्ते में पड़ने वाले सैकड़ों भवनों और संपत्तियों को मुआवजा देकर उनका अधिग्रहण किया जाएगा।

क्या सुविधाएं मिलेंगी?

कॉरिडोर का निर्माण दो हिस्सों में होगा यानी ऊपरी क्षेत्र और निचला क्षेत्र। निचला हिस्सा 11 हजार 300 वर्गमीटर का होगा, वहीं ऊपरी क्षेत्र 10 हजार 600 वर्गमीटर का होगा। 5 एकड़ जमीन पर पार्किंग और अन्य सार्वजनिक सुविधाएं भी मुहैया करायी जाएंगी जिसका खर्च राज्य सरकारी उठायेगी। इसमें प्रतीक्षालय, परिक्रमा क्षेत्र, सामान घर, चिकित्सा, शिशु-वीआईपी रूम जैसी कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। कॉरिडोर के बनने के बाद करीब 10 हजार लोग इस मंदिर में एक साथ दर्शन कर सकेंगे। बांके बिहारी मंदिर तक पहुंचने के तीन रास्ते बनाए जाएंगे। एक रास्ता जुगलघाट से सीधा मंदिर, दूसरा रास्ता विद्यापीठ चौराहे से और तीसरा रास्ता जादौन पार्किंग से आएगा।

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कोर्ट में क्या बोली यूपी सरकार

इलाहाबाद हाई कोर्ट में हुई सुनवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा है कि गोस्वामी परिवार द्वारा की जाने वाली पूजा-अर्चना या श्रृंगार में सरकार किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करेगी। मंदिर के सेवायतों को जो भी अधिकार हैं, वे यथावत बने रहेंगे। बता दें कि मंदिर के आसपास गोस्वामी समुदाय के घर हैं। वह साल और दिन के हिसाब से अपनी बारी आने पर मंदिर में पूजा करवाने आते हैं।

 भारत की नई प्रौद्योगिकी

बांके बिहारी कॉरिडोर, भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय रेलवे के माध्यम से उच्च गति इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने का लक्ष्य रखता है। इसका उद्देश्य गांवों और शहरों को श्रेष्ठ इंटरनेट सेवाओं के साथ जोड़ना है ताकि डिजिटल असमानता को कम किया जा सके।

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बांके बिहारी कॉरिडोर की आवश्यकता

भारतीय गाँवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की कमी एक बड़ी समस्या है जो डिजिटल विभाजन बढ़ाती है। बांके बिहारी कॉरिडोर इस समस्या का समाधान करने का प्रयास कर रहा है। यह इंटरनेट सेवाओं की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ावा देने के साथ साथ बाजार, शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकारी सेवाओं तक पहुँच को सुनिश्चित करने का लक्ष्य रखता है।

 बांके बिहारी कॉरिडोर के खासियत

यह कॉरिडोर अत्यंत तेज डेटा संचार क्षमता के साथ अलग-अलग भूगोलिक क्षेत्रों को जोड़ेगा। यह भारतीय गाँवों को वैश्विक डिजिटल मानचित्र पर शामिल करेगा और उन्हें आधुनिक तकनीकी संसाधनों के लिए समर्पित बनाएगा। इसके माध्यम से, डिजिटल भारत की ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा और देश के अंतर्राष्ट्रीय संचार में मजबूती आएगी।

बांके बिहारी मंदिर

 

संक्षेप में

बांके बिहारी कॉरिडोर एक प्रौद्योगिकी अभियान है जो भारत को डिजिटल रूप से समृद्ध करने का प्रयास कर रहा है। इसके माध्यम से, भारतीय सामाजिक और आर्थिक विकास में सुधार लाया जा सकता है और डिजिटल असमानता को कम किया जा सकता है। इस परियोजना का विकास और सफलता भारत के विकास के लिए महत्वपूर्ण है और यह भारतीय आम जनता को डिजिटल युग में एक सकारात्मक रूप से शामिल कर सकता है।

 

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