भगवान को भोग लगाते समय की गलती: एक सावधानी, वरना हो जाएगा अनर्थ

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भगवान को भोग लगाते समय की गलती

भगवान को भोग लगाते समय की गलती : लोग प्रतिदिन अपने घर में भगवान की पूजा-पाठ करते हैं और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भोग लगाते हैं. कई घरों में लोग अपने घरों में बनने वाले भोजन को ही भगवान को भोग के रूप में अर्पित कर देते हैं. उसके बाद उसे प्रसाद स्वरूप स्वयं भी ग्रहण करते हैं. प्रसाद के रूप में देवी-देवताओं को फल, मिठाइयां, पकवान, पंचामृत आदि भोग लगाए जाते हैं, लेकिन भगवान को भोग लगाते समय कुछ बातों का आपको विशेष ध्यान रखना चाहिए.

शास्त्रों में भी भोग लगाने के कुछ नियम बताए गए हैं, जिनके अनुसार भगवान को भोग लगाने से वे उसे ग्रहण करते हैं. साथ ही आपकी पूजा का शुभ फल भी आपको प्रदान करते हैं. आइए जानते हैं उज्जैन के ज्योतिषाचार्य रवि शुक्ला से उन नियमों के बारे में.

भगवान को भोग लगाते

भोग लगाते समय जरूर रखें यह बात का ध्यान – भगवान को भोग लगाते

देवी-देवता को प्रसाद चढ़ाने या भोग लगाने के कुछ देर बाद भोग उठा लेना चाहिए. भोग लगाने के बाद सभी लोगों में प्रसाद जरूर बांटे. पूजा समाप्त होने के बाद देर तक प्रसाद को मंदिर में रखा न छोड़ें. इससे भोग में नकारात्मकता आ जाती है. भगवान को पवित्रता बहुत पिर्य है इसलिए स्नान आदि करके शुद्ध होकर भगवान की पूजा आराधना करनी चाहिए. भगवान का भोग सात्विक होना चाहिए. भगवान के भोग में लहसुन, प्याज आदि का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. भोग बनाने के लिए तामसिक चीजों का इस्तेमाल भूलकर भी नहीं करना चाहिए.

इन पात्रों में चढ़ाएं प्रसाद – भगवान को भोग लगाते

भगवान को प्रसाद कभी भी जमीन पर न चढ़ाएं. साथ ही सीधे भगवान के पास प्रसाद को न रखें. प्रसाद को हमेशा सोना, चांदी, पीतल या मिट्टी धातु के पात्र में ही चढ़ाना चाहिए. इन धातुओं को सनातन धर्म में पवित्र और शुद्ध माना जाता है. इसके अलावा आप केले या पान के पत्ते पर भी प्रसाद चढ़ा सकते हैं.

भगवान को भोग लगाते

धार्मिक

भगवान को भोग लगाना धार्मिक आदर्शों में एक महत्वपूर्ण क्रिया है, लेकिन कभी-कभी इसमें हम गलतियों में पड़ सकते हैं जो हमें अनर्थ में डाल सकती हैं। इसलिए, ज्योतिष यहाँ हमें नियमों की जानकारी देता है जो इस महत्वपूर्ण क्रिया को सही ढंग से करने में मदद कर सकते हैं।

1. शुभ मुहूर्त: भगवान को भोग लगाने का सही समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। ज्योतिषी उपेक्षित मुहूर्तों की चेतावनी देता है, जो कार्य के लिए अशुभ हो सकते हैं।

2. नकारात्मक ग्रहों का प्रभाव: ज्योतिषी उन ग्रहों के प्रभाव को भी बताता है जो भगवान के भोग में अशुभता ला सकते हैं।

3. विधि-विधान का पालन: धार्मिक पद्धति और नियमों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।

4. परंपरा का महत्व: ज्योतिषी भी हमें परंपरागत धार्मिक अनुष्ठानों के महत्व के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

5. मन की शुद्धि: भगवान के भोग में शुद्ध मन से जा नमन करना चाहिए।

6. अन्य धार्मिक आदर्श: ज्योतिषी न केवल हिन्दू बल्कि अन्य धार्मिक समुदायों के भी भगवान के भोग करने के नियमों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

7. शुभ कार्यों का प्रभाव: शुभ कर्मों का प्रभाव भी भगवान के भोग में होता है, और ज्योतिषी यहाँ हमें उन्हें बढ़ावा देने की सलाह देता है।

8. भक्ति का महत्व: अंततः, ज्योतिषी हमें यह समझाता है कि भगवान के भोग में भक्ति और निष्काम कर्म का महत्व अत्यधिक होता है। इससे हमारी भावना परिपूर्णता का अनुभव होता है।

इस प्रकार, ज्योतिष भगवान के भोग लगाते समय की सही दिशा दिखाकर हमें धार्मिक और आध्यात्मिक विकास में मदद करता है।

 

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