भगवान विष्णु
वैशाख का महीना भगवान विष्णु को समर्पित
पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख का महीना भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है. इस महीने में स्नान-दान, जप और तप करने से लोगों को भगवान विष्णु के आशीर्वाद से सुख-समृद्धि मिलती है. इस माह में जीवन के कष्टों का अंत होता है. भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस महीने में सूर्योदय से पहले ही स्नान करना चाहिए. इस महीने में जप, तप, दान करना बेहद शुभ फलदायी माना जाता है.
इस माह में सेवा करने से मिलेगा विशेष फल
शास्त्रों में इस महीने को संयम, अहिंसा, अध्यात्म, स्वाध्याय और जनसेवा का महीना माना गया है. इसीलिए चाहे सेवा किसी भी रूप में हो जितनी ज्यादा करेंगे, उतना पुण्य मिलेगा. इस महीने में धूम्रपान, मांसाहार, मदिरापान एवं परनिंदा जैसी बुराइयों से बचना चाहिए. इसके साथ ही भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और सेवा, उनके सगुण या निर्गुण स्वरूप का ध्यान करना चाहिए.
वैशाख में जल दान का विषेश महत्व
पंडित घनश्याम शर्मा के अनुसार वैशाख के इस आध्यात्मिक महीने में भगवान शिव पर जल चढ़ाना या गलंतिका बंधन करने का (जल से भरी हुई मटकी लटकाने का) विशेष पुण्य बताया गया है. शास्त्रों के मुताबिक इस महीने में प्याऊ लगवाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना आदि सेवा करने से व्यक्ति को सुख-समृद्धि मिलती है. स्कंद पुराण के मुताबिक इस महीने में जल दान का सबसे ज्यादा महत्व माना गया है. इस माह में जलदान से कई तीर्थ करने का पुण्य मिलता है.
ध्यान और मनन
पानी, जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इसकी महत्वपूर्णता को समझते हुए, यहाँ एक महीने के लिए भगवान विष्णु के नाम पर पानी में रहने के उपायों के बारे में चर्चा की जाएगी। पानी में रहना न केवल एक साधन है, बल्कि यह भी एक साधना है। भगवान विष्णु के नाम पर इसे अद्वितीय बना देने के लिए, हमें इसमें एक संकल्प और समर्पण की भावना के साथ योग्यता से आगे बढ़ना होगा।
आहार संयम : पानी में रहते समय, ध्यान और मनन की प्रक्रिया को साधारित करना महत्वपूर्ण है। भगवान विष्णु के नाम का जाप करते हुए, हमें उनके साथ एकाग्रता में रहना चाहिए। इस व्रत में, आहार संयम बहुत महत्वपूर्ण है। सादा और सत्त्वपर्ण आहार लेना, जैसे फल, सब्जियां, और दाल, शरीर को शुद्धि और सात्त्विकता में मदद करेगा।
पानी का महत्व : इस अनुभव में, पानी के महत्व को हमें समझना चाहिए। पानी ही जीवन का स्रोत है, और यह व्रत हमें उसकी महत्वपूर्णता को पुनः जानने का अवसर देता है।
परिणाम : यह व्रत न केवल हमें आत्मा की शुद्धि में मदद करता है, बल्कि हमें पानी की महत्वपूर्णता को भी अनुभव कराता है। भगवान विष्णु के नाम पर यह उपाय हमें एक नए दृष्टिकोण और आत्मिक संबल प्रदान करता है।
समाप्ति और सामाजिक प्रतिबद्धता : व्रत के समापन के समय, हमें यह ध्यान देना चाहिए कि हमारी सामाजिक प्रतिबद्धता के अनुसार, हम अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं। इस व्रत से हम अपने आप को न केवल आत्मिक विकास में मदद करते हैं, बल्कि समाज में भी उत्तम सहयोग प्रदान करते हैं।
इस प्रकार, भगवान विष्णु के नाम पर पानी में रहने के ये उपाय हमें न केवल आत्मिक संबल देते हैं, बल्कि हमें प्राकृतिक संरेखण और सामाजिक सहयोग के माध्यम से एक संतुलित और प्रशांत जीवन जीने की प्रेरणा भी प्रदान करते हैं।
Read more for new topics :- https://carecrush.in