महाअष्टमी का व्रत:इन चीजों का रखें खास ख्याल, महिलाएं शुभ मुहूर्त में भरे मां का खोईछा, 

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महाअष्टमी का व्रत:

महाअष्टमी का व्रत:9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्र की शुरुआत हुई. हालांकि नवरात्र चार होते है और सनातन धर्म में नवरात्रि को बहुत महत्वपूर्ण और मंगलमई माना जाता हैं. जानकारी देते हुए पूर्णिया के पंडित दयानाथ मिश्र लोकल 18 को बताते हैं कि ऐसे में नवरात्र के नौ दिन में सबसे खास महाअष्टमी का व्रत माना जाता हैं. इस व्रत को करने के दिन लोग निर्जला रहकर मां की भक्ति करते हैं. इस दिन खासकर सुहागिन महिलाएं कोई भी मनोकामना की कामना के लिए खोईछा भरती हैं. हालांकि कामना के पहले और कामना पूर्ण होने के बाद भी खोईछा भरा जाता है. जिससे लोगों को यश, कीर्ति, वैभव और भाग्य उदय के साथ और भी मनचाही इच्छा की पूर्ति होती है.

इस दिन है महाष्टमी का व्रत, जानें शुभ मुहूर्त

पंडित दयानाथ मिश्र कहते हैं कि इस बार महाअष्टमी का व्रत 16 अप्रैल मंगलवार को होगा, जो हम सभी के लिए शुभफलदायक का दिन है. अष्टमी से एक दिन पहले यानी 15 अप्रैल की रात यानी जिस दिन चैती छठ के प्रातः कालीन अर्घ्य होकर समाप्ति होना है, उसी दिन के रात में माता की निशा पूजा होगी. लेकिन महाअष्टमी का व्रत करने वाली व्रती ये पूजा करेंगी. उन्हें मंगलवार 16 अप्रैल को खोईछा देना होगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए शुभ मुहूर्त मंगलवार को द्वितीया अर्ध पहर है. जिस कारण व्रती सुबह के 9:00 बजे से लेकर दोपहर के 1:30 तक खोईछा भर सकेंगी.

 

महाअष्टमी का व्रत:

इन चीजों से भरे मां का खोईछा

पंडित दयानाथ मिश्र Local 18 को आगे बताते हैं कि कई लोग खोईछा में सिर्फ चावल भरते हैं, यह सरासर गलत है. खोईछा भरने के लिए हमें इन सभी सामग्रियों जैसे- पान, सुपारी, हल्दी, मिठाई, दूर्वा, अरवा चावल और कुछ द्रव्य, सिंदूर आदि को लेकर लाल कपड़े मे बांध लें और भगवती के सामने क्षमा याचना कर अपनी मनोकामना रखते हुए खोईछा को भर दें. ऐसे में भगवती माता की कृपा बनी रहती है. जो मनोकामना से लोग खोईछा भरते हैं, वह निश्चित ही प्राप्त होत है. लेकिन एक बात का ध्यान दें कि कुंवारी लड़की इसे नहीं भर सकती है.

व्रत का महत्व

महाअष्टमी का व्रत हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मां दुर्गा की पूजा और आराधना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से इस व्रत को अत्यधिक ध्यान देती हैं और अपने परिवार के लिए मां की कृपा का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

महिलाओं का समर्पण

इस धार्मिक उत्सव में महिलाएं विशेष रूप से मां दुर्गा के चरणों में अपना समर्पण करती हैं। वे शुभ मुहूर्त में मां की पूजा और व्रत करती हैं, जिससे उन्हें अपने परिवार और समाज में सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

खोईछा का महत्व

महिलाएं इस दिन खोईछा का खास ध्यान रखती हैं। खोईछा मां दुर्गा की प्रसाद के रूप में माना जाता है और इसे खाने से उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

महाअष्टमी का व्रत:

 

ध्यान और मेधा की शक्ति

महाअष्टमी के दिन महिलाएं ध्यान और मेधा की शक्ति को बढ़ाती हैं। वे विशेष रूप से मां दुर्गा की पूजा में ध्यान लगाती हैं, जिससे उनका मानसिक और आध्यात्मिक विकास होता है।

विशेष त्योहार का अनुभव

महाअष्टमी का त्योहार विशेष रूप से भारतीय समाज में उत्साह और उत्सव का माहौल बनाता है। इस दिन का विशेष महत्व है, जो धार्मिक और सामाजिक महत्व के साथ-साथ नवीनता और ऊर्जा का संचार करता है।

समाज में एकता का सन्देश

यह त्योहार समाज में एकता और सहयोग का संदेश देता है। महिलाएं इस अवसर पर साथ मिलकर पूजा का आयोजन करती हैं और एक-दूसरे के साथ अपने धार्मिक और सामाजिक दायित्वों को समझती हैं। इससे समाज में सौहार्द और समरसता का वातावरण बना रहता है।

 

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