वरूथिनी एकादशी 2024
जानें कब है वरुथिनी एकादशी
उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर मंदिर मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने बताया कि हमारे हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख के महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 3 मई देर रात शुरू होगी और इसका समापन अगले दिन 4 मई, 2024 को रात्रि में होगा. इसीलिए वरुथिनी एकादशी का व्रत 4 मई को रखा जाएगा. इसके साथ ही इसकी पूजा प्रातः 07 बजकर 18 मिनट से प्रातः 08 बजकर 58 मिनट के बीच होगी. इस खास दिन पर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना, भगवान विष्णु की पूजा करना, दान पुण्य करना और व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और उनकी असीम कृपा प्राप्त होती है, वहीं इस खास दिन पर कुछ चीज़ें करने से बचना चाहिए अगर आप वो चीजे करते हैं तो भगवान विष्णु आपसे अंदर हो सकते हैं.
वरुथिनी एकादशी पर भूलकर भी न करें ये काम
पुजारी शुभम ने बताया कि इस खास दिन पर मांस, मछली, प्याज, लहसुन, अंडे और शराब आदि चीजों से दूर रहना चाहिए. वरुथिनी एकादशी के दिन तुलसी तोड़ना भी अशुभ माना जाता है. इसके साथ ही अगर आप इस दिन व्रत रख रहे हैं तो अनाज और फलियां बिलकुल न खाएं. इस दिन तेल में बना खाना न ही खाए तो अच्छा है.
भगवान विष्णु की पूजा के रूप में मनाया जाता है
एकादशी एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जिसे भगवान विष्णु की पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस अवसर पर, अनेक लोग उपवास करते हैं और अनेक प्रकार की पूजा अर्चना करते हैं। इस धार्मिक उत्सव के समय पर, कुछ बातों का खास ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है।पहला और सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है शुभ संगत का ध्यान रखना। एकादशी के दिन, लोगों को पवित्र और धार्मिक विचारधारा में रहना चाहिए, और अशुभ संगत से दूर रहना चाहिए। इसके अलावा, अन्यों की मदद करना और प्रेम और सम्मान का आदान-प्रदान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
विष्णु भगवान की अराधना करते हैं
दूसरा, विष्णु भगवान की पूजा का ध्यान रखना चाहिए। इस दिन, लोग विष्णु भगवान की अराधना करते हैं, जिसमें पूजा, आरती और भजन शामिल होते हैं। विष्णु भगवान को समर्पित रहना और उनका स्मरण करना ध्यान में रखना चाहिए।तीसरा, अन्नदान का महत्व समझना चाहिए। एकादशी के दिन, अन्नदान करना बहुत पुण्यदायी माना जाता है। धर्मशास्त्रों में भी अन्नदान का बड़ा महत्व बताया गया है।
सत्संग और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन
चौथा, अध्ययन और सत्संग का समय निकालना चाहिए। एकादशी के दिन, सत्संग और धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन करना बहुत महत्वपूर्ण है। यह ध्यान और शांति का अच्छा स्रोत होता है।पांचवां, ध्यान और मनोविज्ञान का महत्व समझना चाहिए। एकादशी के दिन, मन को शांत और स्थिर रखने का प्रयास करना चाहिए। मन को नियंत्रित करने के लिए ध्यान और प्राणायाम का अभ्यास करना बहुत महत्वपूर्ण है।
अंत में,
धार्मिक भावना का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन, लोगों को धार्मिक भावना को अपने मन में स्थापित रखना चाहिए और अपने आत्मा का शुद्धिकरण करना चाहिए। यह उनकी आध्यात्मिक विकास में मदद करेगा और उन्हें आनंदमय और संतुलित जीवन जीने में मदद करेगा।
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