विकट संकष्टी चतुर्थी: आर्थिक संकट से मुक्ति का समय

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विकट संकष्टी चतुर्थी

विकट संकष्टी चतुर्थी: विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना स्त्री एवं पुरुषों के लिए शुभ फलदाई होता है. इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन में मंगल का आगमन होता है. इसके साथ ही व्यक्ति को सभी प्रकार के आर्थिक संकटों से भी निजात मिलता है.मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम के ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज पाठक ने लोकल 18 को बताया कि हर वर्ष वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है. इस साल 27 अप्रैल 2024 को विकट संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी.

भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना

इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है. इस व्रत को शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही कर सकते हैं. साधक को कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विधि विधान से भगवान श्री गणेश की पूजा करनी चाहिए. इससे उन्हें सभी आर्थिक संकटों से निजात मिलेगा और लाभ होगा.आइए जानते हैं कि इस व्रत का शुभ मुहूर्त एवं चंद्र उदय का समय क्या है.

विकट संकष्टी चतुर्थी

विकट संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त

उन्होंने कहा कि वैशाख माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल को सुबह 8:20 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 28 अप्रैल को सुबह 8:20 मिनट पर इस तिथि का समापन होगा. साधक को 27 अप्रैल को विकट संकष्टी चतुर्थी मनानी चाहिए. इस दिन चंद्र दर्शन का समय देर रात 10:30 मिनट पर होगा. चंद्रास्त 28 अप्रैल की सुबह 7:38 पर होगा.

सूर्योदय एवं सूर्यास्त का समय

उन्होंने कहा कि इस दिन सूर्योदय का समय सुबह 5: 45 मिनट पर होगा. इसी के साथ सूर्यास्त का समय शाम 6:52 मिनट पर होगा. ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 04:20 मिनट से 5:00 मिनट तक होगा. साथ ही विजय मुहूर्त का समय दोपहर 2:32 मिनट से 3:20 मिनट तक रहेगा. गोधूलि मुहूर्त का समय शाम 6:55 मिनट से 7:10 मिनट तक रहेगा. निशिता मुहूर्त रात्रि 12:00 मिनट से 12:40 मिनट तक रहेगा. इन शुभ मुहूर्त में आप भगवान गणेश का पूजन कर सकते हैं. पूजन में उन्हें मोदक भोग लगाइए. व्रत की कामना उनके समक्ष रखिए और इच्छापूर्ति का आशीर्वाद मांगें. पूजन के बाद गणेश जी की आरती जरूर करें.

विकट संकष्टी चतुर्थी

आध्यात्मिकता का महत्व

भारतीय संस्कृति में धर्म और आध्यात्मिकता का महत्व अत्यधिक होता है। विभिन्न पर्व और त्योहार इसी भावना को प्रकट करते हैं, जिनमें से एक है ‘विकट संकष्टी चतुर्थी’। यह हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से मान्यता है कि आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है।विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व वेश्य रूप से विशेष माना जाता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा भगवान गणेश के साथ उपस्थित होता है। यह दिन आर्थिक संकटों को दूर करने के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है।

संकटों से मुक्ति का मार्ग

गणेश भक्तों के लिए यह दिन आर्थिक संकटों से मुक्ति का मार्ग दर्शाता है और उन्हें सफलता की प्राप्ति में मदद करता है।विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्वपूर्ण हिस्सा है ‘चंद्र दर्शन’ का समय। इस दिन चंद्रमा के दर्शन का समय सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जो इस व्रत को और भी शक्तिशाली बनाता है। चंद्र दर्शन का समय विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग होता है, इसलिए इसे पूर्वानुमान करने के लिए पंडितों और पूर्वजों की सलाह ली जाती है।

विकट संकष्टी चतुर्थी

 

भगवान गणेश को व्रत, पूजा,

विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन लोग भगवान गणेश को व्रत, पूजा, और अर्चना करते हैं। उन्हें दुकानों का आरंभ करने, नए व्यवसायों की शुरुआत करने, या किसी नए परियोजना को आरंभ करने के लिए भी यह दिन शुभ माना जाता है। विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत का पालन करने से मान्यता है कि इससे व्यक्ति के जीवन में स्थिरता और समृद्धि आती है।

महत्वपूर्ण धार्मिक

अतः, विकट संकष्टी चतुर्थी एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सामाजिक उत्सव है जो आर्थिक संकटों से मुक्ति के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से लोगों को आर्थिक समृद्धि, सम्मान, और सफलता प्राप्त होती है। चंद्र दर्शन का समय भी इस व्रत के अद्वितीय महत्व को और भी बढ़ाता है

 

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