वैष्णो देवी मंदिर
वैष्णो देवी मंदिर :वैष्णो देवी का विश्व प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर जम्मू-कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में कटरा नगर के समीप की पहाड़ियों पर स्थित है. इन पहाड़ियों को त्रिकुटा पर्वत कहते हैं. यहीं पर लगभग 5,200 फीट की ऊंचाई मातारानी का मंदिर स्थित है. यह भारत में तिरूमला वेंकटेश्वर मंदिर के बाद दूसरा सर्वाधिक देखा जाने वाला धार्मिक तीर्थ स्थल है. त्रिकुटा की पहाड़ियों पर स्थित एक गुफा में माता वैष्णो देवी की स्वयंभू तीन मूर्तियां हैं. देवी काली (दाएं), सरस्वती (बाएं) और लक्ष्मी (मध्य), पिण्डी के रूप में गुफा में विराजमान हैं. इन तीनों पिण्डियों के सम्मिलित रूप को वैष्णो देवी माता कहा जाता है. वहीं इस स्थान को माता का भवन कहा जाता है.
जहां देवी विराजमान रहती हैं
पवित्र गुफा की लंबाई 98 फीट है. इस गुफा में एक बड़ा चबूतरा बना हुआ है. इस चबूतरे पर माता का आसन है जहां देवी विराजमान रहती हैं.भवन वह स्थान है जहां माता ने भैरवनाथ का वध किया था. प्राचीन गुफा के समक्ष भैरो का शरीर मौजूद है और उसका सिर उड़कर तीन किलोमीटर दूर भैरो घाटी में चला गया और शरीर यहां रह गया. जिस स्थान पर सिर गिरा, आज उस स्थान को ‘भैरोनाथ के मंदिर’ के नाम से जाना जाता है. कटरा से ही वैष्णो देवी की पैदल चढ़ाई शुरू होती है जो भवन तक करीब 13 किलोमीटर और भैरो मंदिर तक 14.5 किलोमीटर है.
मंदिर की पौराणिक कथा
एक साधु ने भैरवनाथ से कहा
कन्या ने देवी का रूप धारण किया
भैरव की प्रमुख मंशा मोक्ष प्राप्त करने
इतिहास: मां वैष्णो देवी के पावन धाम का उद्भव
वैष्णो देवी मंदिर का इतिहास सन्तान धरा के साथ ही जुड़ा है। मान्यता है कि मां वैष्णो देवी ने अपनी भक्त का आशीर्वाद देने के लिए यहाँ अपना पावन धाम स्थापित किया था।
पौराणिक कथा: मां वैष्णो देवी की महिमा
पुराणों के अनुसार, मां वैष्णो देवी का जन्म भगवान विष्णु की शक्ति के रूप में हुआ था। उन्होंने अपने भक्तों के रक्षा के लिए विक्रमादित्य के साथ जंग लड़ी थी और उन्होंने अपने शक्ति के बल पर शत्रुओं को परास्त किया था।
दर्शन: मनोकामना पूरी करने का स्थान
वैष्णो देवी मंदिर के दर्शन से हर भक्त की मनोकामना पूरी होती है। मां वैष्णो देवी के धाम में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं को अपनी मांग पूरी होती है, और वे आनंद से भर जाते हैं।
समापन: धर्म का प्रतीक
वैष्णो देवी मंदिर धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ भारतीय संस्कृति का एक गहरा प्रतीक है। यहाँ का इतिहास और पौराणिक कथाएं धर्म और समाज के लिए मार्गदर्शन का कार्य करती हैं और लाखों श्रद्धालुओं को आत्म-श्रद्धा में स्थानीय होने का अनुभव कराती हैं।