शहादत की श्रृंगारणा
जानिए क्या है यहां की कहानी ?
इसके बारे में ये कहानी प्रचलित है कि पीर बाबा कभी काली पलटन यानी अंग्रेजी सेना में सूबेदार हुआ करते थे. अपने मजहब और धर्म को मानने वाले सैयद शहीद पीर मुमताजशाह रहमहतुल्ला एक दिन नवाज पढ़ने जा रहे थे. तभी अंग्रेजी सेना के किसी बड़े अफसर ने उन्हें नमाज पढ़ने से रोक दिया और ड्यूटी करने का आदेश दे दिया. खिदमतगार मुमताज फिरदौसी लोकल18 को आगे बताते हैं कि अंग्रेज अफसर के इस आदेश को ना मानने पर इसी जगह उन्हें शहीद कर दिया गया था.
सारी मुरादें पीर बाबा पूरी करते हैं
ऐसी मान्यता है कि यहां फरियाद लेकर आने वाले फरियादियों की सारी मुरादें पीर बाबा पूरी करते हैं. 55 वर्ष के खिदमतगार फिरदौसी Local18 को बताते हैं कि इस दरगाह में मुराद लेकर आने वाले लोगों के अलावा बहुत से राहगीर भी आते हैं, जो पेड़-पौधे की छाव में बैठकर आराम करते हैं. बता दें कि इस दरगाह के अंदर कई पेड़ और बैठने के लिए चबूतरे बने हुए हैं.
हर धर्म के लोग करते हैं इबादत
धार्मिक और सहयोग का अद्भुत प्रतीक
जिस दरगाह की यह कहानी है, वहाँ का माहौल हमेशा ही धार्मिक और सहयोग का अद्भुत प्रतीक रहा है। यहाँ के अंधेरे कोनों में भी नजर आता है, भक्तों का आत्मिक ऊर्जा संगठित होकर उन्हें सांत्वना और आशीर्वाद देता है। एक दिन, जब सूबेदार अपने साथियों के साथ नमाज पढ़ने गया, तो उसे अंग्रेजों ने नमाज पढ़ने से रोक दिया। परन्तु यह धार्मिक भक्त, जिसे अपने ईश्वर के प्रति अटल श्रद्धा थी, ने इस आदेश को न मानते हुए अपने धर्म के महत्व को ऊपर उठाया।
भक्ति और साहस की दृष्टि
निर्मल भक्ति और साहस की दृष्टि से, सूबेदार ने नमाज पढ़ने का अपना समय चुना और उसके बाद भी अपने ईश्वर की आराधना जारी रखी। उसने अपने धर्म के प्रति अपने अनवरत विश्वास को प्रकट किया। यह उसका एक अद्भुत प्रदर्शन था, जो धर्म और निष्ठा के लिए बलिदान करने का उदाहरण था।अंग्रेजों की इस निर्धन नैतिकता के बावजूद, इस दरगाह में सच्ची धार्मिकता की अविच्छिन्न आवाज थी। उस सूबेदार ने न केवल अपने धर्म की रक्षा की, बल्कि उसने धार्मिक सहिष्णुता और शांति के संदेश को भी सार्वजनिक रूप से स्थापित किया।
धर्म और निष्ठा की शक्ति
इस घटना ने सिद्ध किया कि धर्म और निष्ठा की शक्ति किसी भी परिस्थिति को पराजित कर सकती है। यह कहानी वास्तव में अनोखी है, क्योंकि इसने एक साहसिक और अद्भुत धार्मिक संदेश को प्रकट किया, जो समाज में शांति और समरसता की आवश्यकता को सार्थकता प्रदान करता है। इस दरगाह की कहानी हमें धार्मिक एकता और सहिष्णुता की महत्वपूर्ण भूमिका याद दिलाती है।
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