स्थापित है 900 साल पुराना मंदिर इस पहाड़ी पर गिरी थी मां सती की नासिका,

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स्थापित है 900 साल पुराना मंदिर इस पहाड़ी पर गिरी थी मां सती की नासिका, महाराणा प्रताप ने ली थी शरण,

स्थापित है 900 साल पुराना मंदिर :राजस्थान अपने ऐतिहासिक किलों, इमारतों और मंदिरों के लिए जाना जाता है. इन्हीं में से एक है, जालोर के सुंधा पहाड़ियों में स्थित मां सुंधा का मंदिर. 1200 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर एक पवित्र धार्मिक स्थल है. मां चामुंडा देवी का यह मंदिर 900 साल से भी अधिक पुराना है. यह मंदिर हिल स्टेशन माउंट आबू से 64 किमी और भीनमाल से 20 किमी दूर है. अरावली की पहाड़ियों में स्थित इस मंदिर की सुंदरता देखते ही बनती है. इसके चारों तरफ कलकल बहता झरना, मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाता हैं. गुजरात और राजस्थान के बहुत से पर्यटक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए आते हैं.

मंदिर से जुड़ा एक इतिहास

कहा जाता है कि त्रिपुर राक्षस का वध करने के लिए आदि देव ने सुंधा पर्वत पर ही तप किया था. इसके अलावा चामुंडा माता की मूर्ति के पास एक शिवलिंग स्थापित है. मंदिर से जुड़ा एक और इतिहास है, जो इसकी महत्वता को बढ़ा देता है. साल 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध के बाद मेवाड़ शासक महाराणा प्रताप ने अपने कष्ट के दिनों में सुंधा माता की शरण ली थी.जालोर के चौहान शासकों का सुंधा माता के प्रति विशेष आदर भाव रहा है. इसी श्रद्धा के कारण उदयसिंह के पुत्र चाचिगदेव ने इस मंदिर का निर्माण संवत 1312 में करवाया. 1319 में अक्षय तृतीया के दिन विधि-विधान से मां चामुंडा की प्रतिष्ठा करवाई गई.

900 साल पुराना मंदिर

 

ह पौराणिक कथा संभवत

हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खंडित मूर्ति की पूजा नहीं की जाती है. ऐसे में विभिन्न राज्यों से सुंधा माता के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालु अपने साथ खंडित मूर्तियां साथ लाते हैं और उनको पहाड़ पर छोड़कर जाते हैं.सुंधा पर्वत पर एक गुफानुमा भंवर मां के सिर की पूजा होती है. कहते हैं कि यहां सती की नासिका गिरी थी. यह पौराणिक कथा संभवत: देवी के मात्र सिर पूजने की प्रथा का मूल कारण रहा हो. वहीं मंदिर परिसर में करीब एक दर्जन से भी अधिक देव-देवी प्रतिमाएं विद्यमान हैं. नवरात्रि के समय यहां पर मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं.

मां चामुण्डा का प्रसिद्ध मंदिर

सुंधा पर्वत पर मां चामुण्डा का प्रसिद्ध मंदिर है. जहां राजस्थान का प्रथम रोप वे 20 दिसम्बर 2006 को प्रारंभ किया गया. आज के रोप-वे आधुनिक हो गए हैं और वह आरामदायक भी हैं. इनमें एक अंतहीन हवाई केबल है, जो एक स्थिर इंजन या इलेक्ट्रिक मोटर द्वारा घुमाई जाती है और इसका उपयोग माल या यात्री परिवहन के लिए किया जाता है.

अत्यंत धार्मिक और ऐतिहासिक पहाड़ी

पूर्व भारत के एक प्राचीन और महत्वपूर्ण पहाड़ी के बारे में विशेष जानकारी। यहाँ पर गिरी थी मां सती की नासिका और इसे मान्यताओं का आधार माना जाता है। महाराणा प्रताप ने इस पहाड़ी की शरण ली थी जब वह अपने राजनीतिक और सामरिक क्षेत्र में परेशान थे। इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है और लोग यहाँ श्रद्धा भाव से आते हैं।

900 साल पुराना मंदिर

 

धार्मिक महत्त्व और सांस्कृतिक विरासत

इस पहाड़ी पर स्थापित है एक 900 साल पुराना मंदिर जो इस क्षेत्र की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यहाँ के मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्तियाँ और प्रतिमाएँ हैं जो इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बनाती हैं। यहाँ के धार्मिक आयाम और ऐतिहासिक महत्त्व ने इसे पर्यटन स्थल के रूप में भी लोकप्रिय बना दिया है।

प्राकृतिक सौंदर्य और वन्य जीवन

इस पहाड़ी के आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यहाँ की वन्य जीवन के संरक्षण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि पर्यावरण की सुरक्षा हो सके। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांति वातावरण लोगों को आकर्षित करता है।

पर्यटन उद्यान और संरक्षण की दिशा में पहल

इस पहाड़ी क्षेत्र को पर्यटन उद्यान के रूप में विकसित करने के लिए सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने मिलकर प्रयास किए हैं। यहाँ के संरक्षण के लिए नए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण किया जा सके और पर्यटन का विकास हो सके।

सामुदायिक संगठन और विकास

इस पहाड़ी के आसपास के सामुदायिक संगठनों ने अपने विकास के लिए कई पहलूओं पर काम किया है। यहाँ की स्थानीय आबादी को उनकी पहचान में मदद करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम और पहल किए जा रहे हैं।

900 साल पुराना मंदिर

संरक्षण और समर्थन

अंत में, इस पहाड़ी के संरक्षण और समर्थन के लिए सभी स्तरों पर सक्रिय भूमिका निभाई जा रही है। स्थानीय समुदायों, सरकारी अधिकारियों, और अन्य संगठनों के साथ मिलकर यहाँ के संरक्षण और विकास को सुनिश्चित किया जा रहा है ताकि इस पहाड़ी की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का समृद्ध विकास हो सके।

 

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