हनुमान जयंती: हनुमान जयंती के दिन सरसों तेल और काले तिल से करें ये उपाय

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हनुमान जयंती

हनुमान जयंती:राम भक्त हनुमान जी की जयंती हर साल दो बार मनाई जाती है. हनुमान जयंती चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि के अलावा कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है. हनुमान जयंती को लेकर अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं हैं. इस बार चैत्र पूर्णिमा के दिन मनाए जाने वाला बेहद खास है. मंगलवार का दिन होने के कारण उस दिन हनुमान जी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी.

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी

वाल्मीकि रामायण के अनुसार, हनुमान जी का जन्म कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर स्वाति नक्षत्र में हुआ था. जबकि चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर ही हनुमान जी को नया जीवनदान मिला था. यही कारण है कि हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को भी हनुमान जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है.

हनुमान जयंती

 

चैत्र पूर्णिमा तिथि

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि चैत्र पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अप्रैल की सुबह 3 बजकर 24 मिनट से होगी जो अगले दिन यानी 24 अप्रैल को सुबह 5 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. ऐसे में हनुमान जयंती 23 अप्रैल को ही मान्य होगा.

इस विधि से करें हनुमान जी की पूजा

पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन सुबह स्नान के बाद हनुमान जी का ध्यान करके उनकी पूजा करनी चाहिए. इस दौरान उन्हें फल, लड्डू, तुलसी की माला चढ़ाकर उनके सामने घी का दीपक जलाना चाहिए. इसके बाद 3 या 5 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तो की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं

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सरसों के तेल के साथ करें ये उपाय

यह दिन हनुमान की पूजा से कुंडली के शनि दोष, ढैय्या, साढ़ेसाती आदि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है. साथ ही जातकों को कुछ आसान उपाए करने चाहिए. जो लोग शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित हैं उन्हें हनुमान जयंती के दिन सरसों के तेल के दीपक में काला तिल डालकर हनुमान जी के समक्ष जलाना चाहिए. इससे शनि पीड़ा से राहत मिलती है.

ये है पूजा का शुभ मुहूर्त

पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस दिन सुबह 8 बजकर 2 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक का समय हनुमान जी के पूजा के लिए बेहद शुभ है. इसके अलावा शाम को 5 बजकर 30 मिनट से 7 बजकर 24 मिनट तक के बीच भी आप हनुमान जी की पूजा आराधना कर सकते हैं. भारतीय संस्कृति में विशेष माना जाता है। इस दिन हम भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना करते हैं और उनके गुणों को याद करते हैं। यह पर्व भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और उन्हें धार्मिक और मानवता के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।

हनुमान जयंती

 

काले तिल का महत्व

इस धार्मिक अवसर के दिन, सरसों तेल और काले तिल का महत्व अत्यधिक है। शास्त्रों के अनुसार, इन दोनों का उपयोग कर हम अनेक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।ये उपाय हमें शनि के प्रकोप से मुक्ति दिलाते हैं। शनि ग्रह के अनुग्रह से हम अपने जीवन में संतुलन और समृद्धि को प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए  इन उपायों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

भगवान हनुमान की कृपा

इस दिन पर हम सभी मिलकर शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के लिए इन उपायों को अपनाएं और भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करें। यह न केवल हमारे जीवन को समृद्धि और सुख की ओर ले जाएगा, बल्कि हमें आत्मनिर्भर बनाए रखेगा। इस पवित्र अवसर पर, हमें अपने मन, वचन, और कर्मों से भगवान हनुमान की शक्ति को अपने जीवन में स्थान देने का संकल्प लेना चाहिए। इस पवित्र दिन पर उन्हें अपनी भक्ति और समर्पण से याद करें, जिससे हमारा जीवन सुखमय और शांति पूर्ण हो।

 

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