हनुमान जयंती: बिहार के इस गांव में है बजरंगबली का ननिहाल

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हनुमान जयंती

हनुमान जयंती: आज शक्ति के आराध्य देव बजरंगबली की जयंती है. इस मौके पर छपरा के प्रसिद्ध मारुति मानस मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. मंगलवार को दिनभर यहां कई तरह के कार्यक्रम होते रहे. पूजा समिति ने खास व्यवस्था की थी.मंदिर को भी आकर्षक तरीके से सजाया गया है. छपरा को बजरंगबली का ननिहाल भी कहा जाता है, लिहाजा बजरंगबली के जन्मदिन पर यहां हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए. मारुति मानस मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए दूर-दराज इलाकों से भी श्रद्धालु पहुंचे.

ननिहाल में हनुमान जी को दुलार

इस बारे में स्थानीय व्यक्ति वासुदेव नारायण वर्मा बताते हैं आज का दिन बेहद खास है. आज ही के दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था. उन्के जन्मोत्सव के मौके पर मंदिर में रामर्चापूजा, रुद्राभिषेक, सत्यनारायण भगवान की कथा, आरती भंडारा सहित कई कार्यक्रम लगातार किए गए. उन्होंने बताया हनुमान जी का छपरा में ननिहाल है. इसलिए यहां के लोग उन्हें नाती मानकर खूब प्यार स्नेह देते हैं. उन्होंने यह भी बताया यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं, उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.उन्होंने यह भी बताया कि हनुमान जी का छपरा से खास रिश्ता है. यही वजह है कि यहां के श्रद्धालुओं में उनके प्रति श्रद्धा रहती है और उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.

हनुमान जयंती

 

सेमरिया गांव में बजरंगबली का ननिहाल

छपरा के रिविलगंज प्रखंड के गोदना सेमरिया गांव से एक मान्यता जुड़ी हुई है. पौराणिक कथा के अनुसार बजरंगबली का ननिहाल गोदना सेमरिया गांव में माना जाता है. स्थानीय लोग बजरंग बली को भगिना का दर्जा देते हुए आज भी ‘बुढ़ऊ’ के नाम से संबोधित करते हैं. गौतम ऋषि की पुत्री माता अंजनि गौतम गोदना में रहती थीं. यहां गौतम ऋषि का आश्रम स्थित है.

मन्नत का मंदिर

मारुति मानस मंदिर के मुख्य पुजारी राघव तिवारी ने बताया छपरा में हनुमानजी का ननिहाल है. दधिचि आश्रम सहित कई ऋषि मुनि यहां रहते थे. जिस तरह से हम लोगों को ननिहाल में प्यार स्नेह मिलता है. उससे कहीं ज्यादा हनुमान जी के ननिहाल छपरा में हम लोग उनके जन्मदिन पर उत्सव मना रहे हैं. उन्होंने कहा आज के दिन श्रद्धालु जिस चीज की इच्छा रख के सच्चे मन से सुंदरकांड के पाठ करते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है.

हनुमान जयंती

 

अंजनिपुत्र और केसरीनंदन

पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी की माता अंजनि विख्यात ऋषि गौतम एवं उनकी पत्नी अहिल्या की पुत्री थीं. उनका विवाह वानरराज केसरी के साथ हुआ था. इसलिए हनुमान जी को अंजनिपुत्र और केसरीनंदन भी कहा जाता है.

धड़कन में भक्ति गूंजती

बिहार के मध्य में, हरे-भरे खेतों और हलचल भरे गांवों के बीच, एक ऐसी जगह है जहां हर दिल की धड़कन में भक्ति गूंजती है। यह वह गांव है जहां हनुमान जयंती अद्वितीय उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है। प्यार से बजरंगबली का ननिहाल के नाम से मशहूर इस गांव के निवासियों का भगवान हनुमान से अटूट रिश्ता है, जिन्हें वे प्यार से इसी नाम से संबोधित करते हैं।

हनुमान जयंती

जीवंत उत्सव

जैसे ही हनुमान जयंती का शुभ दिन नजदीक आता है, गांव में गतिविधियों की बाढ़ आ जाती है। भोर से ही, भक्त गेंदे की मालाओं और धूप से सजे भगवान हनुमान को समर्पित स्थानीय मंदिर में इकट्ठा होते हैं। हवा हनुमान चालीसा के मंत्रमुग्ध कर देने वाले मंत्रों से भरी हुई है, जो गलियों में गूंज रही है, जो सुनने वाले सभी के दिलों को झकझोर रही है।

आध्यात्मिक नवीनीकरण

हनुमान जयंती सिर्फ उत्सव का दिन नहीं है; यह आध्यात्मिक नवीनीकरण और चिंतन का समय है। ग्रामीण शक्ति, साहस और सुरक्षा के लिए भगवान हनुमान से आशीर्वाद मांगते हुए प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों में डूब जाते हैं। गाँव का हर कोना दैवीय ऊर्जा से गूंजता है, जिससे हर किसी को शांति और शांति का एहसास होता है।

हनुमान जयंती

सामुदायिक जुड़ाव

हनुमान जयंती का उत्सव धार्मिक सीमाओं से परे है, जो जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को एकता और सद्भाव में एक साथ लाता है। जाति, पंथ या सामाजिक स्थिति के बावजूद, हर कोई उत्सव में भाग लेने के लिए हाथ मिलाता है, जिससे समुदाय और भाईचारे के बंधन मजबूत होते हैं।

सेवा के कार्य

हनुमान जयंती निःस्वार्थ सेवा और दयालुता के कार्यों का भी समय है। ग्रामीण विभिन्न धर्मार्थ गतिविधियों में संलग्न हैं, जैसे जरूरतमंदों को भोजन वितरित करना, चिकित्सा शिविर आयोजित करना और कम भाग्यशाली लोगों को सहायता प्रदान करना। सेवा के ये कार्य करुणा और निस्वार्थता की भावना का प्रतीक हैं जिसका भगवान हनुमान प्रतीक हैं।

 

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भक्ति की विरासत

पीढ़ियों से, भगवान हनुमान की भक्ति की विरासत इस पवित्र गांव में माता-पिता से बच्चों तक चली आ रही है। उनकी वीरता और भक्ति की कहानियाँ उनके दैनिक जीवन में बुनी गई हैं, जो उन्हें साहस और लचीलेपन के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रेरित करती हैं।

निष्कर्ष के तौर पर

बिहार के हृदय में, ग्रामीण जीवन की सरल खुशियों के बीच, हनुमान जयंती सिर्फ एक त्योहार नहीं है; यह ग्रामीणों की अटूट आस्था और भक्ति का प्रमाण है। जैसे ही वे अपने प्रिय भगवान हनुमान के जन्म का जश्न मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं, उन्हें जीवन और समुदायों को बदलने में प्रेम, एकता और आध्यात्मिकता की शक्ति की याद आती है।

 

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