वृंदावन में परिक्रमा का महत्व:
वृंदावन में परिक्रमा का महत्व:वृंदावन में हर दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु भगवान कृष्ण की लीला स्थल और मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. इसके साथ ही कई श्रद्धालु वृंदावन की परिक्रमा भी लगाते हैं, जिसका ब्रज में बेहद महत्व माना जाता है. लेकिन, कई लोगों को इस बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है कि वृंदावन की परिक्रमा कब और कैसे लगानी चाहिए.वैसे तो हर कोई जब भी मंदिर जाता है, तो दर्शन करने के बाद यहां परिक्रमा जरुर लगाता है.
भगवान कृष्ण ने वृंदावन
लेकिन वृंदावन में सिर्फ मंदिरों की ही नहीं, बल्कि पूरे वृंदावन क्षेत्र की परिक्रमा लगाने का महत्व है. मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने वृंदावन की पावन धरती पर अपनी लीलाएं की और उनके चरणों का राज आज भी वृंदावन में मौजूद है. इस बारे में जानकारी देते हुए मथुरा के पंडित विकास शर्मा ने बताया कि वृंदावन की परिक्रमा लगाने से आप वृंदावन क्षेत्र में मौजूद हर मंदिर, वृक्ष और ब्रजवासियों को प्रणाम कर उनकी भी परिक्रमा लगाते हैं. क्योंकि कृष्ण की लीला में इन सभी का बेहद महत्व माना जाता है.
सभी तीर्थों की परिक्रमा का प्राप्त होता है फल
पंडित विकास शर्मा ने बताया कि परिक्रमा लगाते समय कई छोटी चीजों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. वैसे तो वृंदावन की परिक्रमा 5 कोस यानी करीब 15 किलोमीटर की मानी जाती है. वृंदावन की परिक्रमा को परिक्रमा परिधि से कही भी शुरू किया जा सकता है. जहां से भी इस परिक्रमा को शुरू किया जाता है. सबसे पहले उसी स्थान को प्रणाम कर ब्रज राज माथे पर लगा कर परिक्रमा शुरू की जाती है. उसी स्थान पर आकर समाप्त भी करनी होती है.
परिक्रमा लगाने से जल्दी प्रसन्न होते हैं भगवान
इसके साथ ही परिक्रमा को बिना जूते-चप्पल और बिना किसी वाहन की सहायता से ही लगाना चाहिए. वैसे तो वृंदावन की परिक्रमा लगाने कोई दिन या समय निर्धारित नहीं है. लेकिन, एकादशी के समय परिक्रमा लगाने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं. क्योंकि, एकादशी को भगवान विष्णु का सबसे प्रिय दिन भी माना जाता है. इसके साथ पूरे परिक्रमा में बाहर का खाना खाने से बचना चाहिए. परिक्रमा के दौरान अधिक भूख लगने पर सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए. हालांकि, परिक्रमा खत्म होने के बाद आप किसी भी प्रकार का भोजन ग्रहण कर सकते हैं.
1. पौराणिक महत्व:
वृंदावन में परिक्रमा का महत्व पौराणिक धारावाहिकता में आधारित है। यहाँ पर श्रीकृष्ण के बहुत से लीलास्थल हैं, जहाँ उन्होंने अपने विचित्र लीलाएं रचीं। इन लीलास्थलों को दर्शन करने के लिए परिक्रमा का आयोजन किया जाता है।
2. आध्यात्मिक महत्व:
परिक्रमा वृंदावन में आध्यात्मिकता का अनुभव करने का एक माध्यम है। यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं को अपने आत्मा के साथ संवाद करने का अवसर मिलता है।
3. सांस्कृतिक महत्व:
वृंदावन में परिक्रमा का आयोजन सांस्कृतिक महत्व के साथ होता है। यह एक प्राचीन भारतीय परंपरा है जो समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को प्रतिष्ठित करती है।
4. सामाजिक महत्व:
यह परिक्रमा सामाजिक एकता और भावनात्मक संबंधों को मजबूत करता है। लोग एक साथ आते हैं, मिलते हैं और एक-दूसरे का साथ देते हैं, जो उनके बीच एक संबंध बनाता है।
5. स्वास्थ्य संबंधी लाभ:
यह एक उत्तम शारीरिक व्यायाम का अवसर प्रदान करता है और आत्मा और शरीर को शुद्धि देता है। लोग पैदल या प्राचीन पवित्र स्थलों के चारों ओर चलते हैं, जो उनके स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
6. पर्यटन महत्व:
वृंदावन में परिक्रमा भारतीय पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ पर आने वाले अनेक देशों के पर्यटकों को भारतीय संस्कृति और धार्मिक विरासत का अनुभव करने का अवसर मिलता है।वृंदावन में परिक्रमा का आयोजन न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और पर्यावरणीय पहलुओं में भी महत्वपूर्ण योगदान करता है।
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