45 फीट लंबा मंदिर:उत्तर बिहार का शानदार सूर्य मंदिर

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 45 फीट लंबा मंदिर

  45 फीट लंबा मंदिर:उत्तर बिहार के आँचल में एक शानदार रहस्यमय स्थल है, जिसमें सूर्य भगवान को समर्पित एक 45 फीट लंबा मंदिर स्थित है। यह मंदिर न केवल विशाल है, बल्कि उसकी अनगिनत कथाएँ और महत्व भी इसे और अद्वितीय बनाते हैं।प्राचीन काल से ही सूर्य को पूजा जाता रहा है, और यह मंदिर इस प्राचीन परंपरा का एक सशक्त प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ पर समय के साथ बहुत सी कथाएँ जुड़ गई हैं, जो इस स्थल को रहस्यमय और प्रेरणादायक बनाती हैं।

 इस मंदिर का निर्माण 2013 में हुआ था

इस सूर्य मंदिर का निर्माण 2013 में शुरू हुआ था, जिसे सुप्रसिद्ध संत श्रीधर दास जी महाराज ने बनवाया था. वर्ष 2015 में ग्रामीणों के सहयोग से मार्कंडेय महायज्ञ के साथ 28 मई को संत श्रीधर दास महाराज के नेतृत्व मे मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई. इस छठ घाट पर पुलिस के अलावा गोताखोरों की भी तैनाती की जाती है. यह मंदिर और भी मनोरम दिखता है, जब गंडकी नदी में पानी का बहाव रहता है. एक तरफ कैलाश आश्रम में विराजते भगवान महादेव और ठीक महादेव के सामने अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार सूर्य देवता श्रद्धालुओं का मन मोह लेते हैं.

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घाटों की सजावट तक सब एक से बढ़कर

आस्था का सबसे बड़ा महा पर्व छठ पूजा के लिए बिहार सहित अन्य प्रदेशों में रहने वाले श्रद्धालुओं में अत्यधिक उत्साह होता है. छठ महापर्व वर्ष में दो बार होता है. एक कार्तिक मास में होता है और दूसरा छठ चैत्र मास में होता है. ग्रीष्मकालीन होने के कारण इस छठ पर्व को कुछ कम मनाया जाता है. लेकिन आस्था में कोई कमी देखने को नहीं मिलती है. बाजारों के रौनक से लेकर घाटों की सजावट तक सब एक से बढ़कर एक होती है. इस पर्व में भी प्रदेश में रहने वाले बिहार के लोग अपने-अपने घर को आते हैं और अपने परिवार के साथ छठ पूजा मनाते हैं.

 सूर्य मंदिर विशेष महत्व 

यहां है उत्तर बिहार का सबसे बड़ा सूर्य मंदिर, जो अपनी ब्रह्मांडीय सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर को धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताओं का केंद्र माना जाता है, और लाखों श्रद्धालुओं को खींचता है।यह मंदिर अपने विशाल आकार और अद्वितीय शैली के लिए प्रसिद्ध है, जो यहां आने वाले लोगों को आकर्षित करती है। इसकी सुंदरता में जादू है, जो दर्शनार्थियों को मोह लेता है।

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भगवान का आशीर्वाद

मंदिर में अर्घ्य देने से लोग मानते हैं कि उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यहां का धार्मिक माहौल और शांति सभी आगंतुकों को प्रेरित करता है।इस मंदिर का निर्माण प्राचीन संस्कृति के साथ जुड़ी मान्यताओं और धार्मिक अर्थों को ध्यान में रखते हुए किया गया है।

सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना

यहां की मान्यता है कि सूर्य मंदिर में पूजा-अर्चना करने से मनुष्य की भविष्यवाणी में सुधार होता है और उसके जीवन को समृद्धि और सुख की दिशा मिलती है।यहाँ के पर्वों और त्योहारों की महत्वपूर्ण धाराओं के साथ, इस मंदिर को विशेष रूप से मनाया जाता है। सूर्य उत्सव और चैत्र नवरात्रि के समय यहाँ के धार्मिक उत्सवों का महत्वाकांक्षी आयोजन किया जाता है। इन अवसरों पर संत संगत के साथ भजन की ध्वनि और आराधना की भावना व्याप्त होती है।

श्रद्धालुओं के बीच

उत्तर बिहार में स्थित यह सूर्य मंदिर अपने विशालकाय स्थापना के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ के श्रद्धालुओं के बीच एक विशेष मान्यता है कि यहाँ पर अर्घ्य देने से मनोकामना होती है पूरी। इस स्थान का अत्यंत धार्मिक महत्व है और यहां के लोग इसे अपने जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। उनके लिए यह एक स्थान नहीं, बल्कि एक धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव है।

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शांतिपूर्ण वातावरण

यह सूर्य मंदिर अपने आकर्षक और शांतिपूर्ण वातावरण के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ के मन्दिर क्षेत्र में स्थित वृक्षों का वनस्पतिक संरक्षण भी किया जाता है, जो इसे एक प्राकृतिक ध्यान केंद्र बनाता है। इसके अतिरिक्त, पर्यटकों के लिए विभिन्न सुविधाएं भी उपलब्ध हैं, जिनमें आवास और भोजन शामिल हैं।

महत्वपूर्ण

यहाँ के सूर्य मंदिर के विशालकाय स्थापना का अनुभव करने के लिए हजारों लोग रोजाना यहाँ आते हैं। इस मंदिर में अध्ययन और ध्यान का वातावरण होने से इसे ध्यान केंद्र के रूप में भी माना जाता है। यहाँ पर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह एक आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है।

 

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