Kamada Ekadashi 2024:
Kamada Ekadashi 2024:हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 9 अप्रैल से हुआ है. चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि को हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी होगी. उस दिन एकादशी व्रत रखकर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाएगी. इस एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जानते हैं. कामदा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के कार्य सफल होते हैं. सभी प्रकार के पाप नष्ट हो जाते हैं. श्रीहरि की कृपा से राक्षस योनि से मुक्ति भी मिल जाती है. हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी कब है? कामदा एकादशी का पूजा मुहूर्त और पारण समय क्या है?
कब है हिंदू नववर्ष की पहली एकादशी
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 18 अप्रैल दिन गुरुवार को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी. इस तिथि की समाप्ति 19 अप्रैल दिन शुक्रवार को रात 08 बजकर 04 मिनट पर होगी. उदयातिथि की मान्यता के अनुसार, इस साल कामदा एकादशी का व्रत 19 अप्रैल शुक्रवार को रखा जाएगा.
3 शुभ योग में है कामदा एकादशी
कामदा एकादशी के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. उस दिन रवि योग सुबह में 05:51 एएम से सुबह 10:57 एएम तक है. वहीं वृद्धि योग प्रात:काल से लेकर देर रात 01 बजकर 45 मिनट तक रहेगा, उसके बाद से ध्रुव योग होगा. ये तीनों ही योग कार्यों के लिए शुभ हैं. कामदा एकादशी वाले दिन मघा नक्षत्र प्रात:काल से लेकर सुबह 10:57 एएम तक है, उसके बाद से पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है.
कामदा एकादशी 2024 पारण समय
जो लोग 19 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत रखेंगे, वे 20 अप्रैल को पारण करेंगे. उस दिन पारण का समय सुबह 05 बजकर 50 मिनट से सुबह 08 बजकर 26 मिनट तक है. उस दिन द्वादशी तिथि का समापन 10:41 पीएम पर होगा. द्वादशी समापन से पूर्व पारण कर लेना चाहिए.
हिंदू नव वर्ष की शुभ शुरुआत
कामदा एकादशी का पवित्र अवसर हिंदू नव वर्ष के आगमन का प्रतीक है, जो दुनिया भर में भक्तों के लिए आशीर्वाद और शुभ शुरुआत की शुरुआत करता है। [तारीख डालें] पर पड़ने वाली इस एकादशी का हिंदू परंपरा में गहरा महत्व है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भक्त इस शुभ अवसर का सम्मान करने के लिए प्रार्थना, ध्यान और धर्मार्थ कार्यों में संलग्न होते हैं।
हिन्दू नववर्ष की पहली एकादशी
कामदा एकादशी हिंदू चंद्र कैलेंडर की पहली एकादशी के रूप में एक विशेष स्थान रखती है, जो नई शुरुआत और आध्यात्मिक कायाकल्प का प्रतीक है। जैसे ही इस पवित्र दिन पर सूर्य उगता है, भक्त मंदिरों और घरों में इकट्ठा होते हैं और आने वाले वर्ष में समृद्धि, शांति और खुशी का आशीर्वाद मांगते हैं। कामदा एकादशी पर रखा जाने वाला व्रत दैवीय कृपा पाने और आत्मा को शुद्ध करने का एक शक्तिशाली साधन माना जाता है।
तीन योगों का शुभ संयोग
कामदा एकादशी 2024 को तीन शुभ योगों के संरेखण द्वारा भी प्रतिष्ठित किया गया है: पुष्य योग, व्यतिपात योग और अमृत सिद्धि योग। यह दुर्लभ अभिसरण इस दिन की जाने वाली प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों की शक्ति को बढ़ाता है, जिससे उनके आध्यात्मिक लाभ कई गुना बढ़ जाते हैं। भक्त इस अवसर का उपयोग परमात्मा के साथ अपने संबंध को गहरा करने के लिए करते हैं और आने वाले एक सामंजस्यपूर्ण और संतुष्टिदायक वर्ष के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
पूजन मुहूर्त और अनुष्ठान
भक्त दिन की शुरुआत भोर के साथ करते हैं, ब्रह्मांड के संरक्षक भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और सख्त उपवास अनुष्ठान करते हैं। पूजा करने का शुभ मुहूर्त सुबह के शुरुआती घंटों के दौरान आता है, जो उस समय प्रचलित दिव्य ऊर्जा के अनुरूप होता है। मंदिरों और घरों में पवित्र भजनों और मंत्रों के जाप के साथ विस्तृत अनुष्ठान और समारोह आयोजित किए जाते हैं।
पारणा का समय और व्रत का समापन
जैसे-जैसे दिन चढ़ता है, भक्त बेसब्री से व्रत तोड़ने के शुभ क्षण, पारण समय का इंतजार करते हैं। परंपरा के अनुसार, व्रत का समापन फल, मेवे और अनाज का भोजन करके किया जाता है, जो पवित्रता और जीविका का प्रतीक है। पारण समय की गणना चंद्र स्थिति के आधार पर सावधानीपूर्वक की जाती है और व्रत के दौरान प्राप्त दिव्य आशीर्वाद के लिए अत्यंत श्रद्धा और कृतज्ञता के साथ मनाया जाता है।
कामदा एकादशी का गहरा महत्व
कामदा एकादशी अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखती है, जो भक्तों को अपनी आत्मा को शुद्ध करने, पिछले अपराधों के लिए क्षमा मांगने और आत्म-खोज और नवीकरण की यात्रा पर निकलने का अवसर प्रदान करती है। जैसे ही दुनिया भर में हिंदू नव वर्ष का आगमन होता है, कामदा एकादशी आशा की किरण के रूप में कार्य करती है, जो भक्तों को धार्मिकता, भक्ति और आंतरिक परिवर्तन के मार्ग की ओर मार्गदर्शन करती है।