चमत्कारी कलश:आगरा में काली माता का 200 साल से भी ज्यादा पुराना ऐतिहासिक मंदिर है.

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चमत्कारी कलश:

चमत्कारी कलश:यमुना नदी के तट पर स्थित आगरा के कालीबाड़ी में काली माता का 200 साल से भी ज्यादा पुराना और ऐतिहासिक मंदिर है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह आगरा में बंगालियों के द्वारा स्थापित किया गया इकलौता काली माता का मंदिर है. इस मंदिर के साथ कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई हैं

मंदिर की स्थापना

यहां के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर की स्थापना के वक्त एक घट(मटका) मिला था और उस घट में आज भी पानी भरा हुआ है. उसकी विशेषता है कि उस घट के अंदर मौजूद पानी कभी खराब नही होता. दावा किया जा रहा है कि ये पानी मंदिर की स्थापना के समय का है. जो ठीक देवी मां की प्रतिमा के सामने चरणों में मौजूद है.

200 साल से पुराना है कालीबाड़ी माता का मंदिर

कालीबाड़ी मंदिर का निर्माण उनके पूर्वजों ने 200 साल से भी पहले करवाया था. A K भट्टाचार्य बताते हैं कि उनके पूर्वज स्वर्गीय द्वारकानाथ भट्टाचार्य जो उस समय बंगाल में रहते थे. बंगाल में प्लेग की भयंकर बीमारी फैली थी और उसके बाद वे आगरा यमुना के किनारे आकर रहने लगे.व हां पर भी उस समय एक मंदिर था. जिसे अंग्रेजों ने तुड़वा दिया. उसके बाद से द्वारकानाथ शहर में कालीबाड़ी चले आये. जिस जगह पर काली का मंदिर है वहां रहने लगे. मां काली ने सपने में आकर द्वारका नाथ को अपने यमुना किनारे होने का स्वप्न दिया .उसके बाद मां की मूर्ति और उस घट को अपने साथ लेकर आए जो मंदिर में आज भी मौजूद है

काली माता

 

घट से नही होता कभी पानी नहीं और ना ही होता है खराब

मंदिर के महंत और स्थानीय भक्तों के मुताबिक काली माता मंदिर में वहीं 200 साल पुराना घट स्थापित है, जिसे उनके पूर्वज यमुना के किनारे से लेकर आए थे. उसकी विशेषता है उसमें से पानी कभी कम नहीं होता, ना ही पानी कभी सूखता और उस पानी में आज तक कीड़े नहीं पड़े है. भक्तों की बड़ी मान्यता है. लोग दूर- दूर से माता रानी के मंदिर में माथा टेकने के लिए आते हैं और अपनी मुरादे मांगते हैं. माता रानी हर भक्तों की मुराद को पूरा करती है.

पहले मां को अर्पित की जाती थी बकरे की बली

पुराने समय में कालीबाड़ी मंदिर में बकरे की बलि दी जाती थी. लेकिन अब ये परम्परा बंद हो गयी है. बकरे की जगह अब पेठे की बलि दी जाती है. इसके साथ ही कहा जाता है कि अगर कोई भक्त सात शनिवार सच्चे मन से यहां शीश झुकाता है तो काली मां उस भक्तों के ऊपर से शनि की बुरी दशा हमेशा के लिए समाप्त कर देती है. यह बेहद चमत्कारी मंदिर है. जिसके दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में हर साल भक्त आते हैं.

काली माता

चमत्कारी कलश” एक अद्भुत कथा

हमारी कथाएं अक्सर हमें विस्मित कर देती हैं, और यह एक ऐसा चमत्कार है जो हमें अचंभित करता है और आश्चर्यचकित कर देता है। इस नजरिए से, “इस मंदिर में है चमत्कारी कलश” एक अद्भुत कथा है, जो हमें दिखाती है कि कैसे धार्मिक स्थलों में भी अद्भुत घटनाएं हो सकती हैं। 200 साल से भी अधिक समय बीत चुका है, लेकिन इस कलश का पानी अब तक नहीं खराब हुआ है। यह वास्तव में एक अद्भुत आश्चर्य है, जो हमें ध्यान में रखने के लिए प्रेरित करता है।

धार्मिकता

इस चमत्कार के पीछे की कहानी का खोज करते समय, हम देवी मां के प्रति अपने श्रद्धाभाव को बढ़ाते हैं। चरणों में उनकी आस्था का एहसास करना हमें उनकी शक्ति और प्रेरणा को महसूस करने में सहायक होता है। यह एक उत्कृष्ट उदाहरण है कि कैसे धार्मिक स्थलों में चमत्कार और आश्चर्य का विस्तार हो सकता है, जो हमारे मन को प्रेरित करता है और हमें धार्मिकता के प्रति आदर्श और श्रद्धा में बढ़ावा देता है।

काली माता

आत्मिक ऊर्जा

 इस मंदिर का चमत्कार हमें यह भी सिखाता है कि सत्य और निष्ठा की शक्ति कितनी महत्वपूर्ण होती है। चमत्कारिक घटनाओं के पीछे अक्सर आध्यात्मिकता और श्रद्धा की ऊर्जा होती है, जो हमें अप्रत्याशित चीजों को स्वीकार करने की प्रेरणा देती है। यहां, देवी मां की प्रत्येक पूजा और आराधना के लिए एक आदर्श स्थान है, जो श्रद्धालुओं को आत्मिक ऊर्जा और संतुष्टि प्रदान करता है।

अद्भुतता और शक्ति

इस अद्भुत घटना के बारे में सुनते समय, हमारी रुचि उत्तेजित होती है कि कैसे यह संघर्ष करते हैं, कैसे धार्मिक स्थलों में अद्भुतता और शक्ति का एक अद्वितीय मेल होता है। हमें यह भी सिखाता है कि समय के साथ भी धार्मिक स्थलों की महिमा और आध्यात्मिकता बनी रह सकती है, और हमें यह भी याद दिलाता है कि असली शक्ति और चमत्कार हमारे अंतरात्मा में होते हैं।

 

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